Course Rules & Regulations 2017

भारतीय ज्योतिष एवं वैदिक विज्ञान संस्थान
पाठ्यक्रम संचालन नियम, 2007
(अन्तिम संशोधन 01 अप्रैल, 2017)

  1. आयु सीमा : प्रवेश की न्यूनतम आयु 16 वर्ष है और विशेष परिस्थितियों में इसे घटाकर 14 वर्ष किया जा सकता है| अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं है|
  2. शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव : प्रवेश के लिए जिन पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक योग्यता स्पष्ट रूप से घोषित नहीं की गई है, उनमें किसी भी औपचारिक शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है| जिन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव घोषित किए गए हैं, उनमें प्रवेश निर्धारित योग्यता एवं अनुभव पर ही स्वीकार्य होगा| इस सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय संस्थान का होगा|
  3. आवेदन पत्र के साथ संलग्न दस्तावेज :
    1. प्रवेश लेने वाले शिक्षार्थी को आवेदन पत्र के साथ आईडी प्रूफ के रूप में स्वयं का फोटो लगा हुआ भारत सरकार अथवा राज्य सरकार या स्थानीय स्वायत्त निकाय अथवा किसी बड़े संस्थान का पहचान पत्र देना होगा| इस सम्बन्ध में मतदाता फोटो पहचान पत्र, आधारकार्ड , पेनकार्ड इत्यादि स्वीकार्य हैं|
    2. आवेदन के साथ मॉंगे गए दस्तावेजों को स्वहस्ताक्षर कर भेजा जाना चाहिए|
    3. अनुभव आदि के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र अथवा उसके अभाव में निर्धारित प्रारूप में शपथपत्र भेजना चाहिए|
  4. प्रवेश सम्बन्धी नियम :
    1. प्रवेश अहस्तान्तरणीय है|
    2. एक साथ एक से अधिक पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश लिया जा सकता है, बशर्ते है कि शिक्षार्थी आवश्यक प्रवेश योग्यता रखता हो|
    3. यदि किसी पाठ्यक्रम में निर्धारित संख्‍या में प्रवेश नहीं हुए हैं, तो उस स्थिति में उस पाठ्यक्रम या कोर्स को संस्थान बिना किसी सूचना के निरस्त कर सकता है और उस स्थिति में प्रवेश प्रक्रिया को निरस्त करते हुए शिक्षार्थियों द्वारा जमा कराया गया शुल्क पूर्णत: वापस किया जाएगा| इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
    4. किसी भी व्यक्ति को प्रवेश देने या नहीं देने का अधिकार संस्थान के पास सुरक्षित है| आवेदन पत्र भेजने एवं शुल्क भेजने मात्र से ही प्रवेश नहीं माना जाएगा| प्रवेश की प्रक्रिया नामांकन संख्‍या आवंटित होने और पाठ्यसामग्री भेजे जाने से ही आरम्भ मानी जाएगी|
    5. किसी भी शिक्षार्थी के नामांकन अथवा प्रवेश को निरस्त करने का अधिकार संस्थान के पास सुरक्षित है| बिना कारण बताए किसी भी शिक्षार्थी का प्रवेश किसी भी स्तर पर निरस्त किया जा सकता है| उस स्थिति में संस्थान द्वारा केवल उसी सत्र या वर्ष के लिए दी गई फीस शिक्षार्थी को वापस दी जाएगी| इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
    6. एक से अधिक सत्र या वर्ष के पाठ्यक्रम की स्थिति में प्रत्येक वर्ष या सत्र के लिए पृथक्-पृथक् आवेदन करने होंगे|
    7. यदि कोई पाठ्यक्रम या कोर्स एक से अधिक सेमेस्टर, सत्र या वर्ष का है, तो जिस सेमेस्टर, सत्र या वर्ष के लिए फीस ली गयी है, केवल उसी सेमेस्टर, सत्र या वर्ष में ही प्रवेश माना जाएगा, भले ही शिक्षार्थी या आवेदक ने सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को आवेदन पत्र में टिक (चिह्नित) किया हो|
    8. प्रवेश बैच विशेष में दिया जाता है, जिसे सामान्यत: संस्थान की ओर से भेजे गए पत्रादि में और अंकतालिका में अल्लिखित किया जाता है| शिक्षार्थी के बैच निर्धारित करने का अधिकार संस्थान का है|
  5. शुल्क सम्बन्धी नियम :
    1. आवेदन पत्र के साथ निर्धारित शुल्क भेजा जाना अनिवार्य है| शुल्क पर लगने वाले सर्विस टैक्स, जीएसटी एवं अन्य प्रकार के टैक्स अतिरिक्त देय होंगे| चैक की स्थिति में उसके क्लियर होने के बाद ही शुल्क जमा माना जाएगा| चैक के अनादरण होने पर 500 रुपए अतिरिक्त शुल्क (जीएसटी अतिरिक्‍त) देय होगा|
    2. जमा कराया गया शुल्क अहस्तान्तरणीय है एवं नॉन रिफंडेबल है| इसे किसी भी स्थिति में वापस नहीं किया जाएगा|
    3. प्रवेश आवेदन पत्र एवं शुल्क जमा करवाने की तिथि समय-समय पर संस्थान द्वारा घोषित की जाती है| उस तिथि तक प्राप्त आवेदन एवं शुल्क वाले शिक्षार्थियों को ही प्रवेश दिया जा सकेगा|
    4. किस्तों में फीस जमा कराने की सुविधा का 500 रुपए अतिरिक्त शुल्क देय होगा, जिस प्रकार जीएसटी अतिरिक्‍त देय है|
    5. नियत तिथि पर फीस की किस्त न जमा करवाने पर विलम्ब शुल्क 500 रुपए प्रतिमाह देय होगा, जिस प्रकार जीएसटी अतिरिक्‍त देय है|
    6. यदि फीस की किस्त निर्धारित तिथि से छह माह से अधिक समय तक जमा नहीं करवाई है, तो उस स्थिति में प्रवेश स्वत: ही निरस्त हो जाएगा और पूर्व में जमा करायी गई फीस भी वापस नहीं होगी| उस स्थिति में यदि शिक्षार्थी पुन: कोर्स करना चाहता है, तो उसे नये प्रवेश के रूप में माना जाएगा और पूरा शुल्क ही जमा कराना होगा| पूर्व में जमा कराए गए शुल्क का इसमें समायोजन नहीं होगा|
    7. यदि एक से अधिक सेमेस्टर (सत्र) या वर्ष का पाठ्यक्रम है, तो उस स्थिति में प्रत्येक सेमेस्टर, सत्र या वर्ष के लिए फीस पृथक्-पृथक् देय होगी| सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की एक साथ फीस नहीं दी जा सकेगी|
    8. प्रत्येक सेमेस्टर, सत्र या वर्ष के लिए फीस निर्धारित करने का अधिकार संस्थान को है| इस फीस में कमी या वृद्धि संस्थान द्वारा की जा सकेगी| परीक्षार्थी को प्रत्येक सेमेस्टर, सत्र या वर्ष का आवेदन करते समय फीस घोषित की जाएगी और उस घोषित फीस को निर्धारित तिथि तक जमा करवाना होगा|
    9. जिस सेमेस्टर, सत्र या वर्ष के लिए शिक्षार्थी से फीस ली गई है, केवल उसी सेमेस्टर, सत्र या वर्ष में ही शिक्षार्थी का प्रवेश माना जाएगा| उसके आगे के सेमेस्टर, सत्र या वर्ष अथवा सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं माना जाएगा| यहॉं यही नियम है कि जिस सेमेस्टर, सत्र या वर्ष की फीस जमा है, उसी सेमेस्टर, सत्र या वर्ष में ही प्रवेश है|
  6. पाठ्यक्रम के नाम में परिवर्तन : पाठ्यक्रम के नाम (टाइटल) आदि में परिवर्तन का अधिकार संस्थान के पास है| संस्थान किसी भी पाठ्यक्रम के नाम (टाइटल) आदि में परिवर्तन कर सकता है|
  7. पाठ्यक्रम अवधि :
    1. पाठ्यक्रम की अवधि बैच के अनुसार निर्धारित होती है, यह शिक्षार्थी के प्रवेश लेने की तिथि से निर्धारित नहीं होगी| बैच के लिए पाठ्यक्रम शिड्‌यूल निर्धारित किया जाएगा, केवल उसी के अनुसार ही पाठ्यक्रम अवधि निर्धारित होगी|
    2. पाठ्यक्रम अवधि में कमी करने या वृद्धि करने का अधिकार संस्थान का है| वह सत्र के आरम्भ में मध्य में या किसी भी समय पाठ्यक्रम की अवधि में कमी या वृद्धि कर सकता है| इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
  8. सिलेबस सम्बन्धी नियम :
    1. प्रत्येक कोर्स के लिए संस्थान द्वारा सिलेबस निर्धारित किया गया है| उस सिलेबस में संशोधन, परिवर्धन, परिवर्तन आदि करने का संस्थान को पूरा अधिकार है| संस्थान सत्र के आरम्भ में, मध्य में अथवा किसी भी समय पर बिना किसी सूचना दिए सिलेबस में संशोधन, परिवर्धन, परिवर्तन आदि कर सकता है| इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
    2. प्रत्येक कोर्स में पेपरों या विषयों की संख्‍या में परिवर्तन, परिवर्धन आदि करने का संस्थान को पूरा अधिकार है| संस्थान सत्र के आरम्भ में, मध्य में अथवा किसी भी समय पर बिना किसी सूचना दिए पेपर या विषयों की संख्‍या में परिवर्धन, परिवर्तन आदि कर सकता है| इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
    3. जो कोर्स एक से अधिक सेमेस्टर, सत्र या वर्ष का है, उसके सन्दर्भ में शिक्षार्थी से जिस सेमेस्टर, सत्र या वर्ष की फीस ली गई है, केवल उसी सेमेस्टर, सत्र या वर्ष में ही उसका प्रवेश माना जाएगा और उस कोर्स में सेमेस्टर, सत्र या वर्ष विशेष के उत्तीर्ण करने पर उसी सेमेस्टर, सत्र या वर्ष विशेष की अंक तालिका एवं प्रमाणपत्र जारी किए जाएँगे|
  9. पाठ्यक्रम शिड्यूल (कॅलेंडर) :
    1. प्रत्येक कोर्स के प्रत्येक बैच का संस्थान द्वारा पाठ्यक्रम शिड्यूल का कॅलेंडर बनाया जाता है, जिसे प्रत्येक शिक्षार्थी को भेजा जाता है| उस पाठ्यक्रम शिड्यूल में पाठ्यक्रम की अवधि, पाठ्यसामग्री एवं प्रश्‍नपत्र भेजने का समय, किस्तों में शुल्क आदि जमा करवाने की तिथि इत्यादि उल्लिखित होते हैं| इस शिड्यूल में परिवर्तन आदि करने का अधिकार संस्थान के पास है| बिना पूर्व सूचना दिए किसी भी समय इसमें परिवर्तन किया जा सकता है|
    2. पाठ्यक्रम की अवधि पाठ्यक्रम शिड्यूल या कॅलेंडर के अनुसार सामान्यत: निर्धारित होती है| इस अवधि में वृद्धि या कमी करने का अधिकार संस्थान के पास है| सत्र के आरम्भ, मध्य अथवा किसी भी समय बिना पूर्व सूचना दिए पाठ्यक्रम की अवधि को कम या अधिक किया जा सकता है| इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
  10. पाठ्यसामग्री :
    1. प्रत्येक कोर्स के लिए पाठ्यसामग्री संस्थान द्वारा उपलब्ध करवायी जाती है| यदि पाठ्यसामग्री के शुल्क का पृथक् से उल्लेख नहीं है, तो उस स्थिति में दिए गए शुल्क में ही पाठ्यसामग्री उपलब्ध करवायी जाएगी|
    2. पाठ्यसामग्री विषय विशेषज्ञों द्वारा लिखित है, जो सामान्यत: छपी हुई पुस्तकों के रूप में रहती है| यह सामग्री संस्थान, ज्योतिष सागर अथवा उसके किसी सहायक प्रकाशन एवं अन्य प्रकाशकों की होती है|
    3. पाठ्यसामग्री निर्धारित करने का अधिकार संस्थान का है| सत्र के किसी भी स्तर पर वह इसमें परिवर्तन कर सकता है|
    4. पाठ्यसामग्री में किसी त्रुटि आदि के लिए संस्थान वैधानिक रूप से उत्तरदायी नहीं है और इस सम्बन्ध में किसी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
    5. पाठ्यसामग्री निर्धारित शिड्यूल के अनुसार शिक्षार्थियों को भेजी जाती है| इसे सामान्यत: तीन-चार किस्तों में शिड्यूल के अनुसार भेजा जाता है| किसी भी स्थिति में इसे एक साथ नहीं दिया जाता|
    6. पाठ्यसामग्री अहस्‍तान्‍तरणीय है| इसे मूल रूप में या फोटो प्रति, डिजीटल प्रति आदि के रूप में पूर्णतः या अंशतः किसी अन्‍य व्‍यक्ति या संस्‍था को नहीं दिया जा सकता| न ही इसे किसी वेबसाइट, एप आदि पर अपलोड कर सार्वजनिक किया जा सकता| यह पाठ्यसामग्री पूर्णतः कॉपीराइट अधिनियम के अन्‍तर्गत पंजीकृत है|
    7. पाठ्यसामग्री के लिए हेल्पलाइन : संस्थान द्वारा पाठ्यसामग्री को समझने हेतु एक हेल्पलाइन की सुविधा दी गई है| सामान्यत: यह 24 घण्टे के लिए है, फिर भी विशेषज्ञों की उपलब्धता के आधार पर समय में परिवर्तन किया जा सकता है| इस हेल्पलाइन नम्बर पर फोन कर व्यक्ति पाठ्यसामग्री से सम्बन्धित अपनी समस्याओं को समझ सकता है| हेल्पलाइन नम्बर प्रवेश के पश्‍चात् भेजे गए वेलकम लेटर में दिया जाता है| यह हेल्पलाइन टोल फ्री नहीं है| इसपर फोन शुल्क लगता है|
  11. परीक्षा :
    1. प्रत्येक कोर्स के लिए परीक्षा होती है| परीक्षा सेंटर पर अथवा पत्राचार के माध्यम से आयोजित की जाएगी| पत्राचार के मामले में शिक्षार्थियों को संस्थान द्वारा प्रश्‍नपत्र भेजा जाएगा| शिक्षार्थी अपने निवास स्थान आदि पर प्रश्‍नपत्र को हल कर केवल स्पीड पोस्ट या पंजीकृत डाक से पत्राचार के माध्यम से भेजेंगे| शिक्षार्थी को निर्धारित तिथि तक हल प्रश्‍नपत्र संस्थान तक पहुँचाना अनिवार्य होगा, अन्यथा उसे अनुपस्थित माना जाएगा| अन्तिम तिथि प्रश्‍नपत्र में उल्लिखित की जाती है|
    2. हल प्रश्‍नपत्र या उत्तरपुस्तिका की एक फोटो प्रति शिक्षार्थी अपने पास रखेगा, यदि किसी कारण से स्पीड पोस्ट या पंजीकृत डाक से संस्थान को उत्तरपुस्तिका या हल प्रश्‍नप्रत्र प्राप्त नहीं होता है, तो उस स्थिति में उस फोटो प्रति को संस्थान के लिए उपलब्ध करवाने का दायित्व शिक्षार्थी का होगा|
    3. परीक्षा का समय पाठ्यसामग्री एवं शिड्यूल के अनुसार निर्धारित होता है| परीक्षा के समय में परिवर्तन आदि करने का अधिकार संस्थान का है|
    4. परीक्षार्थी के परीक्षा में अनुपस्थित रहने पर पुनः परीक्षा के अवसर और दिए जा सकते हैं, जिनमें परीक्षाशुल्‍क पृथक् से देय होगा|
    5. पत्राचार के मामले में यदि परीक्षार्थी निर्धारित तिथि तक प्रश्‍नपत्र हल करके नहीं भेजता है, तो उस स्थिति में उसे उस परीक्षा में अनुपस्थित माना जाएगा और उसे पुन: परीक्षा के योग्य माना जाएगा| उस स्थिति में पुन: परीक्षा शुल्क देय होगा|
    6. यदि पृथक् से परीक्षा शुल्क की देयता का उल्लेख नहीं किया गया है, तो उस स्थिति में दिए गए शुल्क में ही परीक्षा शुल्क भी शामिल होता है| पुन: परीक्षा की स्थिति में परीक्षा शुल्क पृथक् से देना अनिवार्य है, जो कि प्रत्येक पेपर के लिए संस्थान द्वारा पृथक् से निर्धारित किया जाएगा| प्रत्येक पुन: परीक्षा के लिए अलग से शुल्क देय होगा|
    7. प्रत्येक प्रश्‍नपत्र में निर्धारित उत्तीर्णांक प्राप्त करना आवश्यक है| सामान्यत: यह 50 प्रतिशत होता है| यदि कोई शिक्षार्थी किसी प्रश्‍नपत्र में निर्धारित उत्तीर्णांक प्राप्त नहीं कर पाता है अथवा वह अनुपस्थित रहता है या प्रश्‍नपत्र हल करके निर्धारित तिथि तक नहीं भेजता है, तो उसे वह परीक्षा पुन: दी जानी होगी| इस हेतु पुन: परीक्षा शुल्क देय होगा| पुन: परीक्षा के लिए तीन अवसर दिए जाते हैं| यदि शिक्षार्थी मुख्‍य परीक्षा एवं उसके बाद दिए गए तीन अवसरों में किसी भी प्रश्‍नपत्र में न्यूनतम उत्तीर्णांक प्राप्त नहीं कर पाता, तो उस स्थिति में कोर्स में उत्तीर्ण नहीं माना जाएगा|
    8. किसी कोर्स के निर्धारित पेपरों में से यदि कोई परीक्षार्थी 50 प्रतिशत पेपरों में उत्तीर्ण हो जाता है, तो उसे अगले पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए योग्य माना जाएगा, परन्तु अनुत्तीर्ण पेपरों (प्रश्‍नपत्रों) की परीक्षा पुन: देकर उनमें उत्तीर्ण होना होगा और पुन: परीक्षा के लिए केवल तीन अवसर दिए जाते हैं|
    9. जिस पाठ्यक्रम में एक से अधिक सत्र या वर्ष हैं और यदि पूर्व के सत्र या वर्ष में मुख्‍य परीक्षा एवं तीन अवसर दिए जाने पर भी परीक्षार्थी किसी एक या अधिक प्रश्‍नपत्र में न्यूनतम उत्तीर्णांक प्राप्त नहीं कर पाता है, भले ही उसने आगे के सत्र या वर्ष या पाठ्यक्रम उत्तीर्ण कर लिए हैं, तो भी उसे उत्तीर्ण नहीं माना जाएगा| उसे पुन: सभी सत्रों या वर्षों की परीक्षाएँ देनी होंगी|
    10. पुन: परीक्षा की तिथि निर्धारित करने का अधिकार संस्थान का है|
    11. पुन: परीक्षा की स्थिति में केवल परीक्षा शुल्क ही देय होता है, अन्य शुल्क नहीं|
    12. परीक्षा का उद्देश्य शिक्षार्थियों को पाठ्यसामग्री के अध्ययन के लिए बाध्य करने मात्र से जुड़ा हुआ है| यह ज्ञान की परीक्षा नहीं है|
  12. परीक्षा परिणाम :
    1. परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने का समय बैच के अनुसार होता है| पत्राचार के मामले में परीक्षार्थी जिस बैच में है, उस बैच के लिए निर्धारित समय पर परीक्षा परिणाम घोषित होगा, भले ही परीक्षार्थी ने कितने समय पूर्व ही अन्तिम प्रश्‍नपत्र को हल करके भेज दिया है|
    2. उत्तर पुस्तिकाओं की पुनर्गणना करवायी जा सकती है| पुनर्मूल्यांकन की सुविधा नहीं है| पुनर्गणना का आवेदन अंक तालिका जारी होने के 30 कार्य दिवस के भीतर ही करना होगा, अन्यथा पुनर्गणना नहीं की जाएगी|
    3. जॉंची गई उत्तर पुस्तिका किसी भी स्थिति में लौटायी या दिखाई नहीं जाएगी|
    4. परीक्षा परिणाम के सम्बन्ध में किसी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा| संस्थान द्वारा घोषित किया गया परीक्षा परिणाम ही अन्तिम होगा|
  13. अंकतालिका एवं प्रमाण-पत्र :
    1. परीक्षा परिणाम घोषित होने के साथ ही अंक तालिका भेजी जाती है| अंक तालिका में यदि किसी प्रकार की त्रुटि है, तो उसमें सुधार करने के लिए तीस दिन के भीतर आवेदन करना होगा| तिथि की गणना अंक तालिका को संस्थान द्वारा भेजे जाने की तिथि से संस्थान को आवेदन पत्र प्राप्त होने की तिथि के आधार पर की जाएगी| किसी विषय में प्राप्त अंकों के सम्बन्ध में आवेदन नहीं किया जा सकता|
    2. सामान्यत: वर्ष में एक बार प्रमाणपत्र भेजे जाते हैं| प्रमाणपत्र में किसी प्रकार की त्रुटि है, तो उसमें सुधार के लिए 30 दिन के भीतर आवेदन करना होगा| इसकी अवधि की गणना पूर्व की भॉंति की जाएगी|
    3. अंकतालिका की डुप्लिकेट कॉपी प्राप्त करने के लिए 250 रुपए शुल्क देय होगा| (जीएसटी अतिरिक्‍त देय)
    4. प्रमाणपत्र की डुप्लिकेट कॉपी प्राप्त करने के लिए 1000 रुपए शुल्क देय होगा| (जीएसटी अतिरिक्‍त देय)
  14. मान्यता या एफिलेशन : भारतीय ज्योतिष एवं वैदिक विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित पाठ्यक्रम किसी भी सरकारी विश्‍वविद्यालय अथवा यूजीसी से मान्यता प्राप्त या एफिलेटेड नहीं है| ये पाठ्यक्रम ज्योतिष एवं अन्य वैदिक विज्ञानों के प्रचार-प्रसार तथा अभिरुचि पाठ्यक्रम के रूप में ही संचालित हैं| संस्थान द्वारा जारी अंकतालिका या प्रमाणपत्र ज्योतिष या सम्बन्धित वैदिक विज्ञान की प्रेक्टिस का लाइसेंस या अनुज्ञप्ति पत्र नहीं है|
  15. फीस पर जीएसटी एवं अन्‍य टैक्‍स : भारत सरकार या राज्‍य सरकार द्वारा घोषित नियमों एवं दरों के अनुसार अतिरिक्‍त लिए जाते हैं| वर्तमान (01 अप्रैल, 2018) में जीएसटी दर 18 प्रतिशत है|
  16. नियमों में संशोधन : नियमों में संशोधन भारतीय ज्योतिष एवं वैदिक विज्ञान संस्थान के चेयरमैन की अध्यक्षता वाली निदेशक, समन्वयक (पाठ्यक्रम) एवं समन्वयक (परीक्षा) की समिति द्वारा समय-समय पर किया जा सकेगा|
  17. नियमों की व्याख्‍या :
    1. इन नियमों की व्याख्‍या का अन्तिम अधिकार भारतीय ज्योतिष एवं वैदिक विज्ञान संस्थान के चेयरमैन के पास है| इस सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर चेयरमैन का ही निर्णय अन्तिम निर्णय होगा| इस सम्बन्ध में किसी प्रकार का वाद स्वीकार्य नहीं होगा|
    2. भारतीय ज्योतिष एवं वैदिक विज्ञान संस्थान के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार के वाद का न्यायिक क्षेत्र केवल जयपुर होगा|