धनकुबेरों की जन्मपत्रिका में धनयोग

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प्रतिष्ठित फोर्ब्स पत्रिका विश्‍व के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों की समय-समय पर सूची निकालती है| भारतीय स्तर पर भी सर्वाधिक धनी व्यक्तियों की सूची निकलती रहती है| इस सूची में जिनका नाम उच्च स्तर पर है, उनकी सम्पत्ति इतनी है, कि जिसकी कल्पना भी हमारे लिए बहुत बड़ी है| ये इतने धनी हैं कि इनके द्वारा लिया गया एक निर्णय देश या राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख सकता है| क्या आप जानते हैं, ऐसा क्यों है? एक आम आदमी में और इन धनकुबेरों की स्थिति में इतना जमीन-आसमान का अन्तर क्यों है? इसके पीछे उनकी मेहनत तो है ही, लेकिन मुख्य कारण मेहनत नहीं, उनकी किस्मत है| मेहनत तो सभी करते हैं, लेकिन एक मजदूर से ऊपर उठकर धनकुबेर बन जाने वाले धीरुभाई अंबानी जैसे विरले भाग्य के धनी ही होते हैं| जिनकी जन्मपत्रिका में धनी होने के योग होते हैं| उन्हें स्वत: ही परिस्थितियॉं ऐसी मिल जाती हैं कि वे सामान्य स्तर से उठकर उस पद-प्रतिष्ठा तक पहुँच ही जाते हैं| इस लेख में हम देखेंगे कि वे कौनसे योग हैं, जिन्होंने इन धनपतियों को उस स्तर पर पहुँचाया| सर्वप्रथम हम कुछ मूलभूत सिद्धान्तों की चर्चा करेंगे, जो कि आर्थिक स्थिति को उच्चता प्रदान करते हैं| जन्मपत्रिका में द्वितीय एवं एकादश भाव धन से सम्बन्धित होते हैं| द्वितीय भाव संचित धन को दर्शाता है एवं एकादश भाव अर्जित धन या आय को| यदि द्वितीयश भाव बली है, तो व्यक्ति धन संचय कर पाता है और कई बार पैतृक सम्पत्ति के रूप में भी उसे अच्छा खासा धन प्राप्त हो जाता है|
एकादश भाव आय को दर्शाता है, अत: कोई व्यक्ति कितना अधिक धनार्जन कर पाएगा? इसका निर्णय करने में एकादश भाव सर्वाधिक सहायक होगा|
इनके अतिरिक्त लग्न, तृतीय, भाग्य और दशम भाव एवं उनके स्वामी ग्रहों की भी इसमें प्रमुख भूमिका कह सकते हैं, जिस प्रकार किसी दल में नेता का स्थान महत्त्वपूर्ण होता है, उसी प्रकार सभी भावों में लग्न एवं लग्नेश का महत्त्वपूर्ण स्थान है| लग्न स्वयं का प्रतिनिधित्व करता है, अत: कोई व्यक्ति किन गुणों से सम्पन्न होगा, उसका व्यक्तित्व कैसा होगा? इसका विचार लग्न से करते हैं| इसके अतिरिक्त जन्मकुण्डली में प्रधान पद पर होने से लग्नेश जिस भी भाव या ग्रह से सम्बन्ध बनाता है, उसके ङ्गलों में वृद्धि करता है| लग्नेश के निर्बल होने पर शुभ ग्रह एवं भाव भी अपना पूर्णङ्गल प्रदान नहीं कर पाते हैं| यदि अन्य सभी भाव एवं ग्रह अनुकूल स्थिति में हैं और लग्नेश भी शुभ स्थिति में हो, तो जातक की उन्नति निश्‍चित होती है|
तृतीय भाव संघर्ष एवं साहस का प्रतनिधित्व करता है| बिना संघर्ष एवं साहस के सङ्गलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति अत्यल्प ही होते हैं और ऐसी सङ्गलता यदि मिल भी जाए, तो अधिक लम्बे समय तक नहीं टिक पाती है| इसलिए साहस एवं संघर्षशीलता के गुण के लिए तृतीय भाव एवं तृतीयेश का विचार कर लेना चाहिए| यदि तृतीयेश लग्न से सम्बन्ध बना ले, तो ऐसा व्यक्ति अपने बलबूते पर आगे बढ़ता है| उसे किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है|
नवम भाव भाग्य का होता है और भाग्य का महत्त्व तो सभी को ज्ञात है| भाग्य यदि साथ न दे, तो सारी मेहनत भी बेकार जा सकती है और भाग्य की सहायता होने पर शेष ग्रह भी अपना ङ्गल शीघ्रता से देते हैं| इसके अतिरिक्त इस भाव को लक्ष्मी भाव भी माना गया है| इसलिए कई धन सम्बन्धी योगों में इसका विचार प्रमुखता से किया जाता है|
दशम भाव कर्म का एवं कर्मक्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है| दशम भाव एवं दशमेश के अनुसार ही व्यक्ति के कार्य एवं कार्यक्षेत्र में उसकी स्थिति का आकलन किया जाता है यथा; दशम भाव में बुध व्यापार की ओर उन्मुख करता है, तो सूर्य एवं गुरु राजकीय सेवा की ओर| इसी प्रकार धन के योगों का निर्धारण करते समय इस भाव का प्रमुखता से विचार किया जाता है, क्योंकि कर्म ही धन को जन्म देता है|
एकादश भाव लाभ एवं आय का प्रतीक होता है| किसी कार्य की सङ्गलता-असङ्गलता बहुत हद तक इस भाव एवं भावेश की स्थिति पर निर्भर करती है| कर्म का परिणाम प्राप्त होगा या नहीं, यह इसी भाव से पता लगाया जाता है| इसके अतिरिक्त जब तक अन्य भाव एवं भावेशों का सम्बन्ध एकादश भाव से नहीं बनता, तब तक वे भाव अपने ङ्गल नहीं दे पाते हैं|
यदि इन योगों के साथ दशा-अन्तर्दशा भी अनुकूल चल रही है, तो ये योग शीघ्रङ्गलदायी होते हैं अन्यथा स्थिति वैसी ही होती है, जैसे कि बीज तो अच्छा डाल दिया गया हो, लेकिन उसे वर्षा अच्छी नहीं मिले|
उक्त सभी भाव एवं भावेशों के अतिरिक्त शास्त्रोक्त योगों का महत्त्व धन की स्थिति बताने में सर्वाधिक होता है| इनमें निम्नलिखित योगों का विचार प्रमुखता से किया जाता है :
1. रुचक, भद्र, हंस, मालव्य, शश इत्यादि पंचमहापुरुष योग, 2. चन्द्र-मंगलकृत लक्ष्मी योग, 3. पर्वतयोग, 4. काहलयोग, 5. चामरयोग,6. सुनङ्गादि चन्द्रकृत योग, 7. नीचभंग राजयोग, 8. धनसंग्रह योग, 9. चन्द्रिका योग, 10. ब्रह्मयोग, 11. व्यापार वृद्धियोग, 12. बुधादित्य योग, 13. गजकेसरीयोग, 14. काहल योग, 15. लक्ष्मीयोग, 16. केन्द्र-त्रिकोण योग, 17. महाभाग्य योग, 18. पर्वतयोग, 19. शंख योग, 20. शुभकर्तरियोग, 21. कुसुमयोग, 22. देवेन्द्र योग, 23. पारिजात योग, 24. पद्मयोग, 25. वसुमती योग, 26. विष्णुयोग, 27. भास्कर योग, 28. रवियोग, 29. कुलदीपक योग, 30. श्रीनाथयोग, 31. श्रीयोग|
ये योग उत्तम ग्रह स्थितियों से ही निर्मित होते हैं| किसी जातक की जन्मपत्रिका में जितने अधिक योग निर्मित होंगे, वह उतनी अधिक ही तरक्की करेगा| आइए, अब कुछ धनकुबरों की जन्मपत्रिका में इन सिद्धान्तों का विश्‍लेषण करते हैं और देखते हैं, कि कौनसे वे योग हैं, जिन्होंने उन्हें उस उच्चता तक पहुँचाया|
बिल गेट्‌स
जन्म दिनांक : 28 अक्टूबर 1955
जन्म समय : 22:00 बजे
जन्म स्थान : सीटल (अमेरिका)
माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के संस्थापक और विश्‍व के धनपतियों में दूसरे स्थान पर स्थित बिलगेट्‌स आज 53 बिलियन डालर की सम्पत्ति के मालिक हैं| उन्होंने जब अपना काम शुरू किया, तो कोई बहुत बड़े धनपति नहीं थे, लेकिन आज उनके बनाए ऑपरेटिंग सिस्टम एवं अन्य सॉफ्टवेयरों की बदौलत दुनिया का बच्चा-बच्चा उन्हें जानता है| इनकी जन्मपत्रिका में निम्नलिखित धनप्रदायक योग बन रहे हैं :
1. चतुर्थ भाव में शुक्र तुला राशि में स्वराशिगत होकर मालव्य नामक पंचमहापुरुष राजयोग बना रहा है|
2. चतुर्थ केन्द्र स्थान में शनि उच्चराशिगत होकर शश नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है|
3. अष्टम स्थान ग्रहरहित है और केन्द्र में शुभ ग्रह शुक्र स्थित है| यह स्थिति पर्वतयोग का निर्माण कर रही है|
4. भाग्य स्थान में स्थित चन्द्रमा और तृतीय स्थान में स्थित मंगल के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है| यह योग चन्द्र-मंगलकृत लक्ष्मीयोग है|
5. नीचराशिस्थ सूर्य उच्चराशिस्थ शनि के साथ युति कर नीचभंग राजयोग बना रहा है|
6. नीचराशिस्थ सूर्य नीचराशि स्वामी शुक्र से युति कर रहा है| यह स्थिति नीचभंग राजयोगकारक है|
7. चतुर्थ भाव में सूर्य नीचराशिगत है, लेकिन सूर्य का उच्चराशि स्वामी मंगल चन्द्रमा से सप्तम केन्द्र भाव में है| यह स्थिति भी सूर्य के नीचत्व को भंग करती है और शुभ ङ्गलकारी होकर अच्छे ङ्गल प्रदान करती है|
8. लग्नेश चन्द्रमा और पंचमेश-दशमेश मंगल के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है, जो कि राजयोगकारक स्थिति है|
9. पूर्णबली चन्द्रमा उच्चराशिस्थ बुध से द्रष्ट है| यह स्थिति भी राजयोगकारक है|
10. लग्नेश चन्द्रमा और पंचमेश मंगल का परस्पर दृष्टि सम्बन्ध धनयोग कारक है|
11. धनेश सूर्य और लाभेश शुक्र दोनों केन्द्र में एक साथ एक ही भाव में स्थित हैं| यह योग धनलाभकारक है|
12. नवांश लग्नेश सूर्य और षष्ठेश शनि दोनों लग्न कुण्डली में एक ही भाव एवं राशि में स्थित हैं, यह चन्द्रिका योग है|
13. बुध दशमेश मंगल से केन्द्र भाव में स्थित होकर ब्रह्म योग बना रहा है|
जियानी एगनेली
जन्म दिनांक : 12 मार्च, 1921
जन्म समय : 02:30 बजे
जन्म स्थान : तुरीन (इटली)
ङ्गिएट कम्पनी के प्रमुख और अपने ङ्गैशन एवं ड्रेसिंग सेन्स के लिए प्रसिद्ध जियानी एगनेली एक महान् शख्सियत थे| यहॉं तक कि ङ्गिएट के प्रमुख के रूप में काम करते हुए उन्होंने इटली की सकल घरेलू उत्पाद को 4.4 प्रतिशत तक अपने नियन्त्रण में कर लिया था| इनकी जन्मपत्रिका में निम्नलिखित धनप्रदायक योग हैं :
1. इनकी जन्मपत्रिका में अष्टम स्थान ग्रहरहित है और चतुर्थ केन्द्र स्थान में शुभग्रह चन्द्रमा स्थित है| यह स्थिति पर्वत नामक राजयोग कारक है|
2. इनकी जन्मपत्रिका में चन्द्रमा एवं मंगल चतुर्थ भाव में स्थित होकर चन्द्र-मंगलकृत लक्ष्मीयोग बना रहे हैं|
3. लग्नेश गुरु और धनेश शनि भाग्य स्थान में एकत्र हैं| यह योग संचित धन में वृद्धि करने वाला है|
4. लग्नेश- चतुर्थेश गुरु और भाग्येश सूर्य के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है| यह स्थिति धनवृद्धिकारक है|
5. सप्तमेश बुध और भाग्येश सूर्य की युति बन रही है और उस पर लग्नेश की भी दृष्टि है| यह स्थिति व्यापार से और स्वयं के परिश्रम से उच्च सङ्गलता दर्शा रही है|
6. भाग्येश सूर्य और कर्मेश बुध की युति है| इसी कारण भाग्य की सहायता से व्यापार में इन्हें अच्छा लाभ प्राप्त हुआ|
7. इनकी जन्मपत्रिका में लग्नेश से बुध केन्द्र में है| नवमेश से बृहस्पति केन्द्र में है और एकादशेश से शुक्र केन्द्र में है| यह स्थिति उत्तम कोटि का ब्रह्मयोग बना रही है|
8. सूर्य-बुध की युति है और इन पर लग्नेश की दृष्टि है| यह स्थिति उत्तम कोटि का बुधादित्य योग निर्मित करती है|
9. लग्नेश गुरु और धनेश एवं पराक्रमेश शनि की भाग्य स्थान में युति बन रही है| इस पर भाग्येश की दृष्टि भी है| यह अत्युत्तम योग है| ऐसे योग में उत्पन्न व्यक्ति अपने पराक्रम से और अपनी मेहनत से जीवन में आगे बढ़ता है एवं धनार्जन करता है| इस कार्य में उसे भाग्य का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है|
स्टीव जोब्स
जन्म दिनांक : 24 ङ्गरवरी, 1955
जन्म समय : 19:15 बजे
जन्म स्थान : सेनङ्ग्रांसिको (अमेरिका)
24 ङ्गरवरी, 1955 को सेनङ्ग्रांसिको में जन्मे स्टीव जोब्स एप्पल कम्पनी के सह-संस्थापक हैं| इतना ही नहीं वे वाल्ट डिजनी के बोर्ड मेम्बर भी रह चुके हैं|
वर्तमान में 20 बिलियन डालर की परिसम्पत्ति वाली कम्पनी के वे प्रमुख हैं| इतना ही नहीं नेक्ट्‌स कम्प्यूटर कम्पनी के भी वे संस्थापक हैं| 2009 में ङ्गोर्ब्स की सूची में उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति 5.1 बिलियन डालर होने का आकलन किया गया था| इनकी जन्मपत्रिका में निम्नलिखित लक्ष्मीदायक योग बन रहे हैंै :
1. गुरु एवं चन्द्रमा परस्पर केन्द्र में स्थित होकर गजकेसरीयोग बना रहे हैं| इस योग में उत्पन्न व्यक्ति धनी, मेधावी, गुणी और उच्चपद पर प्रतिष्ठित होता है|
2. इनकी जन्मपत्रिका में चन्द्रमा से द्वितीय में स्वराशिगत मंगल स्थित होकर उत्तम कोटि का सुनङ्गा योग बना रहा है|
3. मंगल नवमेश एवं चतुर्थेश है तथा लग्नेश सूर्य भी बली है| इस प्रकार काहल योग का निर्माण हो रहा है|
4. लग्नेश यदि प्रबल हो और भाग्येश स्व या उच्चराशि में हो, तो लक्ष्मी योग का निर्माण होता है| इनकी जन्मपत्रिका में लग्नेश सूर्य केन्द्र में स्थित होकर लग्न पर पूर्ण दृष्टि डाले हुए है और भाग्येश मंगल स्वराशिगत है| इस योग में उत्पन्न व्यक्ति लक्ष्मीपुत्र होता है और अपने जीवन में बहुत-सा धन अर्जित करता है|
5. पंचमेश गुरु और दशमेश शुक्र के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है| यह योग उत्तम आर्थिक स्थिति को दर्शाता है| ऐसा व्यक्ति मेहनती होता है| कार्यक्षेत्र में उसे सङ्गलता प्राप्त होती है और इतना ही नहीं आकस्मिक रूप से भी वह धनार्जन करता है|
सारांश रूप में इनकी जन्मपत्रिका में लग्न पर लग्नेश की पूर्ण दृष्टि का होना, तृतीय भाव में उच्चराशिगत शनि की स्थिति दशमेश की पंचम त्रिकोण भाव में उपस्थिति और भाग्येश का बली होकर अपने भाव में स्थित होना इनके लिए शुभङ्गलकारी हुआ और इसी कारण जीवन में इन्हें कर्मक्षेत्र में उच्च सङ्गलता प्राप्त हुई और इन्होंने इतना धनार्जन किया|
मुकेश अंबानी
जन्म दिनांक : 19 अप्रैल, 1957
जन्म समय : 18:00 बजे
जन्म स्थान : अडेना (यमन)
धीरूभाई अम्बानी के भाग्यशाली पुत्र और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अम्बानी 43 अरब डालर की व्यक्तिगत सम्पत्ति के साथ विश्‍व के धनपतियों में पॉंचवें पायदान पर हैं| 1981 में जब इन्होंने रिलायंस में काम सम्भाला था, तो उत्पादन क्षमता 10 लाख टन प्रतिवर्ष भी नहीं थी, लेकिन अब अपनी मेहनत से उन्होंने इसे 1.20 करोड़ टन तक पहुँचा दिया है| यह मुकाम भी उन्हें उनके सितारों की बदौलत ही मिला है| उनकी जन्मपत्रिका में धन से सम्बन्धित योग निम्नलिखित हैं :
1. यदि पुरुष का दिन में जन्म हो और लग्न, सूर्य एवं चन्द्रमा तीनों विषम राशि में हों, तो महाभाग्य योग का निर्माण होता है| इस योग में उत्पन्न जातक महान् भाग्यशाली, ऐश्‍वर्यवान् और अपने कुल का नाम रौशन करने वाला होता है| इनकी जन्मपत्रिका में यह योग निर्मित हो रहा है|
2. धन के कारक ग्रह मंगल और पंचम लक्ष्मी स्थान के अधिपति शनि के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध बन रहा है| यह योग इन्हें अत्यधिक संचित धन का स्वामी बनाता है|
3. लग्नेश शुक्र एवं द्वादशेश बुध परस्पर केन्द्र में हैं और शुभ ग्रह बृहस्पति से द्रष्ट हैं| यह एक अच्छा पर्वतयोग है|
4. पंचमेश शनि एवं षष्ठेश गुरु परस्पर केन्द्र में हैं और लग्नेश शुक्र भी बली स्थिति में है| यह शंखयोग धन-सम्पदा एवं मान-सम्मान की दृष्टि से उत्तम है|
5. लग्नेश शुक्र और नवमेश बुध के मध्य सप्तम भाव में उत्तम युति सम्बन्ध बन रहा है| यह स्थिति राजयोगकारक तो है ही, इसके अतिरिक्त व्यापार की दृष्टि से भी उत्तम ङ्गलप्रदायक है|
6. लग्नेश शुक्र, भाग्येश बुध और लाभेश सूर्य का योग सप्तम केन्द्र भाव में बन रहा है| यह योग सप्तम भाव में बनकर व्यापार से उच्चसङ्गलता और उससे आय प्राप्ति में भाग्य का सहयोग होना दर्शा रहा है| लग्नेश की युति इस कार्य में सहयोग कर रही है| यही कारण है कि जिस भी कार्य में वे हाथ डालते हैं, उसमें इन्हें सङ्गलता प्राप्त होती है|
7. धनेश मंगल और पंचमेश शनि के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध बन रहा है| यह योग धनसंचय की दृष्टि से और पैतृक सम्पत्ति की प्राप्ति की दृष्टि से उत्तम है| यही कारण है कि मुकेश अंबानी को विरासत में अच्छी सम्पत्ति प्राप्त हुई और अपनी मेहनत से उन्होंने इस सम्पत्ति को और अधिक बढ़ाया|
8. कर्मेश चन्द्रमा तृतीय भाव में स्थित है और इस पर पराक्रमेश गुरु एवं धनेश मंगल की पूर्ण दृष्टि है| यह योग इन्हें भाग्य का धनी और मेहनत से उत्तम धनप्राप्ति करने वाला दर्शा रहा है|
9. बुध एवं सूर्य सप्तम भाव में एकत्र हैं| यह युति भाग्येश एवं लाभेश की है| इतना ही नहीं लग्नेश भी उनके साथ है| इस प्रकार इस बुधादित्य योग का महत्त्व बढ़ जाता है| इस योग के ङ्गलस्वरूप इन्हें उत्तम धन-सम्पदा और भाग्य की प्राप्ति हुई|
मुकेश अंबानी की जन्मपत्रिका में भाग्येश बुध, एकादशेश सूर्य और लग्नेश शुक्र की युति व्यापार के भाव सप्तम में है, आय का स्वामी सूर्य उच्चराशिगत है और इतना ही नहीं शुभ ग्रह गुरु की दृष्टि भी इन सभी पर पड़ रही है|
कुमार मंगलम बिड़ला
जन्म दिनांक : 14 जून, 1967
जन्म समय : 08:45 बजे
जन्म स्थान : कोलकाता
बिड़ला घराने के प्रमुख वारिस और आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला का जन्म राजस्थान के प्रसिद्ध उद्योगपति परिवार में 14 जून, 1967 को कर्क लग्न में हुआ| भारत के उच्चतम धनकुबेरों में इनका नाम चौथे क्रम पर दर्ज है| आज आइडिया सेल्यूलर, अल्ट्राटेक सीमेन्ट, हिंडाल्को, ग्रासिम जैसी कई जानी-मानी कम्पनियों और शिक्षण जगत् में बिडला इंस्टीट्यूट ऑव टेक्नॉलोजी एण्ड साइंस (बिट्‌स, पिलानी) जैसी शैक्षणिक संस्था के कर्ता-धर्ता ये ही हैं| आज जिस पद पर ये प्रतिष्ठित हैं, वह यूँ ही किसी के लिए भी सुलभ नहीं है| ग्रहों की कृपा से ही कोई ऐसे पद पर पहुँच सकता है| इनकी जन्मपत्रिका में लक्ष्मीप्रदायक निम्नलिखित योग हैं :
1. इनकी जन्मपत्रिका में भाग्येश बृहस्पति लग्न में उच्चराशिगत होकर हंस नामक पंचमहापुरुष राजयोग बना रहा है| इनके इस योग में उच्चपद पर पहुँचने में इनकी बहुत सहायता की|
2. अष्टम स्थान ग्रहरहित है और लग्न में दो शुभ ग्रह गुरु एवं शुक्र स्थित हैं, यह स्थिति उत्तम कोटि का पर्वतयोग बना रही है|
3. लग्न के दोनों ओर चन्द्रमा एवं बुध शुभ ग्रह बैठे हैं| इसके अतिरिक्त लग्न में भी दो शुभ ग्रह हैं| इस प्रकार यह अच्छा शुभकर्तरियोग है|
4. यदि चतुर्थेश एवं नवमेश परस्पर केन्द्र में हों और लग्नेश बलवान् हो, तो काहल योग का निर्माण होता है| इनकी जन्मपत्रिका में यह योग निर्मित हो रहा है| यह योग मान-सम्मान पर और उच्चपद पर प्रतिष्ठित करने वाला सिद्ध हुआ है|
5. भाग्येश गुरु उच्चराशिगत होकर बली एवं केन्द्र स्थानस्थ है तथा लग्नेश चन्द्रमा भी बली है| यह स्थिति उत्तम लक्ष्मीयोग बना रही है|
6. भाग्येश, आयेश और चतुर्थेश की युति लग्न में बन रही है| यह योग एक प्रकार का अच्छा लक्ष्मी योग है| इस योग में जन्मे व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त होते रहते हैं|
7. धनेश सूर्य लाभ भाव में स्थित है और लग्नेश चन्द्रमा धन भाव में स्थित है| यह योग आर्थिक क्षेत्र में उच्चलाभ प्रदान करने वाला होता है| ऐसे व्यक्ति के पास संचित धन की कमी नहीं होती और पैतृक सम्पत्ति के रूप में उसे अच्छा धन प्राप्त होता है तथा अपनी मेहनत से वह उसे और अधिक बढ़ाता है|
8. कर्मेश मंगल तृतीय भाव में स्थित होकर कर्मभाव पर पूर्णदृष्टि रखे हुए है| यह योग व्यक्ति को कर्मठ, मेहनती और अपने बलबूते पर आगे बढ़ने वाला बनाता है| इसी योग के कारण ये इतने मेहनती हुए और अपनी मेहनत से व्यापार के क्षेत्र में कितनी सङ्गलताएँ इन्होंने अर्जित की|
समग्र रूप में देखा जाए, तो इनकी जन्मपत्रिका में भाग्येश, चतुर्थेश, लाभेश की युति, लग्न में बनने वाला पंचमहापुरुष योग, लग्न में दो शुभ ग्रहों की उपस्थिति, धनेश की लाभ भाव में स्थिति और व्यापार के कारक बुध की स्वराशिगत स्थिति ने इन्हें इतना आगे पहुँचाया| भविष्य में इनका व्यापार विदेश में और अधिक ङ्गैल सकता है|
कुण्डली में स्थित योग उनके निर्माण में प्रयुक्त ग्रहों की दशाओं में ङ्गल प्रदान करते हैं|•