Certificate in Astrological Sciences (CASc)

2,950.004,720.00

The Institute Of Indian Astrology And Vedic Sciences (IIVSc) offers Certificate in Astrological Sciences (CASc).

Course Duration : 6 Months
Learning Mode : PDF Study Material

Curriculum or Syllabus :
Paper 1 : Kundali Vigyan (Paper Code AS101)
Paper 2 : Introductory Predective Astrology (Paper Code AS102)
Paper 3 : Introductory Ashtakvarga (Paper Code AS103)
Paper 4 : Introductory Gochar Vigyan (Paper Code AS104)
Paper 5 : Introductory Muhurtashastra (Paper Code AS105)
Paper 6 : Introductory Remedial Astrology (Paper Code AS106)

Fee Structure :
One Time Payment : Rs. 4,720
Installment Payment : Rs.2,950 (1st Installment) | Rs.2,360 (2nd Installment)

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Description

Curriculum 
अध्याय-01 भारतीय ज्योतिष का परिचय
भारतीय ज्योतिष के स्कन्ध ; भारतीय ज्योतिष साहित्य का संक्षिप्त इतिहास ; सिद्धान्त ज्योतिष के साहित्य का इतिहास ; होरा ज्योतिष के साहित्य का इतिहास ; संहिता ज्योतिष के साहित्य का इतिहास ; मुहूर्त ज्योतिष के साहित्य का इतिहास ; प्रश्न ज्योतिष के साहित्य का इतिहास ; ताजिक के साहित्य का इतिहास ;|

अध्याय-02 भारतीय ज्योतिष की आधारभूत अवधारणाएँ
अक्षांश-रेखांश ; पृथ्वी की गति ; खगोल या आकाशीय गोला ; विषुवत् वृत्त ; क्रान्ति वृत्त ; भचक्र या राशिमण्डल ; राशि ; नक्षत्र ; नक्षत्र चरण या नक्षत्रपाद ; ग्रह ; ग्रहों का परिचय एवं गति ; ग्रहों का अस्त होना ; भाव ; लग्न ; सम्पातों का पिछड़ना एवं अयनांश ; अयनांश साधन ।

अध्याय-03 मूलभूत गणना प्रक्रियाएँ
समय की इकाइयाँ ; इष्टकाल आदि प्रमुख अवधारणाएँ ; घटी – पल- विपल से घण्टा-मिनट सेकण्ड में समय परिवर्तन ; इष्टकाल को और तिथि आदि के समाप्ति के घटी फ्लात्मक मान को घण्टा मिनट सेकण्ड में बदलना और इसके विपरीत प्रक्रिया ; ग्रहों के कोणात्मक मान की परिगणना ; त्रिकोणमितीय प्रक्रियाएँ ;।

अध्याय-04 समय के प्रकार
स्थानीय द्रष्ट समय ; स्थानीय मध्यम समय ; मानक समय ; भारतीय मानक समय ; स्थानीय समय का मानक समय में तथा मानक समय का स्थानीय समय में परिवर्तन ; साम्पातिक काल ;

अध्याय-05 लग्न साधन
पलभा, चरखण्ड, स्वोदयमान आदि के आधार पर लग साधन ; पलभा ज्ञात करना ; चरखण्ड ज्ञात करना ; स्वोदय लग्नमान ज्ञात करना ; भोम्यपल ज्ञात करना ; जन्मलग्न साधन करना ;

अध्याय-06 जन्मकालिक ग्रहस्पष्ट
अध्याय-07 जन्मकुण्डली निर्माण
कुण्डली का उत्तर भारतीय प्रारूप ; कुण्डली का दक्षिण भारतीय प्रारूप ; कुण्डली का मिथिला प्रारूप ; कुण्डली का बंगाल प्रारूप ; कुण्डली का उड़िया प्रारूप ; जन्मकुण्डली का निर्माण ; चन्द्रकुण्डली निर्माण की विधि ; सूर्य कुण्डली निर्माण की विधि ; सुदर्शन चक्र निर्माण की विधि ।

अध्याय-08 भाव स्पष्ट
श्रीपति पद्धति से भाव स्पष्ट ; भाव चलित कुण्डली निर्माण की विधि

अध्याय-09 दशवर्ग निर्माण
होरा ; द्रेष्काण ; सप्तमांश ; नवमांश ; दशमांश ; द्वादशांश ; षोडशांश ; त्रिंशांश ; षष्ट्यंश ; दशवर्गों के उपयोग।

अध्याय-10 नैसर्गिक, तात्कालिक एवं पंचधा मैत्री
नैसर्गिक ग्रह मैत्री ; तात्कालिक ग्रह मैत्री ; पंचधाग्रह मैत्री ।

अध्याय-11 विंशोत्तरी दशासाधन
जन्माकलिक विंशोत्तरी दशा का निर्धारण एवं भुक्त और शेष विंशोत्तरी दशा साधन ; द्वितीय एवं आगे की विंशोत्तरी दशाओं का साधन ; विंशोत्तरी अन्तर्दशा साधन ; विंशोत्तरी प्रत्यन्तर्दशा साधन

अध्याय-12 राशियों का सामान्य परिचय
राशियों की आकृति ; राशियों के चिह्न ; कालपुरुष के अंगों में राशियों का विन्यास ; राशियों से सम्बन्धित रोग ; राशियों की स्वादि संज्ञाएँ ; राशियों का लिंग ; राशियों की क्रूरादि संज्ञाएँ ; राशियों की दिशाएँ ; राशियों की चरादि संज्ञाएँ ; दिवाबली एवं मिली राशियाँ ; राशियों की शीर्षोदय आदि संज्ञाएँ ; राशियों के तत्त्व ; राशियों की प्रकृति ; राशियों की चतुष्पद आदि संज्ञाएँ राशियों का वर्ण ; राशियों के रंग ; राशियों के स्वामी ग्रह

अध्याय-13 ग्रहों का सामान्य परिचय
ग्रहों का वर्गीकरण ; ग्रहों की स्व, उच्च मूलत्रिकोण एवं नीच राशि और परमोच्चांश तथा परम नीचांश ; ग्रहों के राजपद ; ग्रहों के रंग ; ग्रहों का उदय प्रकार ; ग्रहों का प्राणिजगतीय स्वरूप ; ग्रहों के संचार स्थान ; वैदिक शाखाधिप ; ग्रहों के द्रव्य या धातु ; ग्रहों के अधिदेवता ; ग्रहों के रत्न ; ग्रहों से सम्बन्धित वस्त्र ; ग्रहों की दिशाएँ ; ग्रहों की ऋतु ; ग्रहों के निवास स्थान
; ग्रहों के लोक ; ग्रहों के वर्ण ; ग्रहों के गुण ; ग्रहों की प्रकृति ; ग्रहों के लिंग ; ग्रहों के तत्त्व ; ग्रहों की शुष्कादि संज्ञाएँ ; ग्रहों के रस ; ग्रहों की दृष्टि ; ग्रहों की बाल्यादि अवस्थाएं ; ग्रहों की जाग्रतादि अवस्थाएं ; ग्रहों की दीप्तादि अवस्थाएं ; लज्जितादि अवस्थाएँ

अध्याय-14 ग्रहों के कास्कस्य
नैसर्गिक या स्थिर कारक ग्रह ; सूर्य के कारकत्व ; चन्द्रमा के कारकत्व ; मंगल के कारकत्व ; बुध के कारकत्व ; गुरु के कारकत्व ; शुक्र के कारकत्व ; शनि के कारकत्व ; राहु के कारकत्व ; केतु के कारकत्व ; तात्कालिक या चर कारक ; कारकांश कुण्डली ; विभिन्न लग्नों में कारक ग्रह ; योगकारक ग्रह

अध्याय-15 भावों का सामान्य परिचय
भावों की संज्ञाएँ ; कालपुरुष के अंगों का भावों में न्यास ; भावों के नैसर्गिक कारकत्व ; भावों के नैसर्गिक कारक ग्रह ; भावेशों की शुभाशुभता ; केन्द्राधिपति दोष

अध्याय-16 जन्मलग्न एवं जन्मराशि फल
मेष लग्न अथवा मेष राशि वालों की विशेषताएँ ; वृषभ लग्न अथवा वृषभ राशि वालों की विशेषताएँ ; मिथुन लग्न अथवा मिथुन राशि वालों की विशेषताएँ ; कर्क लग्न अथवा कर्क राशि वालों की विशेषताएँ ; सिंह लग्न अथवा सिंह राशि वालों की विशेषताएँ ; कन्या लग्न अथवा कन्या राशि वालों की विशेषताएँ ; तुला लग्न अथवा तुला राशि वालों की विशेषताएँ ; वृश्चिक लग्न अथवा वृश्चिक राशि वालों की विशेषताएँ ; धनु ल अथवा धनु राशि वालों की विशेषताएँ ; मकर लग्न अथवा मकर राशि वालों की विशेषताएँ ; कुम्भ लग्न अथवा कुम्भ राशि वालों की विशेषताएँ ; मीन लग्न अथवा मीन राशि वालों की विशेषताएँ ।

अध्याय-17 फलकथन के आधारभूत सिद्धान्त
अध्याय-18 विभिन्न राशियों में स्थित ग्रहों के फल
मेष राशि में स्थित नव्ाहों के फल ; वृषभ राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; मिथुन राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; कर्क राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; सिंह राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; कन्या राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; तुला राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; वृश्चिक राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; धनु राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; मकर राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; कुम्भ राशि में स्थित नवग्रहों के फल ; मीन राशि में स्थित नवग्रहों के फल

अध्याय-19 ग्रहों की उच्चादिराशिगत स्थिति के आधार पर फल
स्वराशि में स्थित ग्रहों के फल ; उच्चराशि में स्थित ग्रहों के फल ; मूलत्रिकोण राशि में स्थित ग्रहों के फल ; अतिमित्र राशि में स्थित ग्रहों के फल ; मित्रराशि में स्थित ग्रहों के फल ; शत्रुराशि में स्थित ग्रहों के फल ; अतिशत्रु राशि में स्थित ग्रहों के फल ; नीचराशि में स्थित ग्रहों के फल

अध्याय-20 प्रथम भाव के फल
प्रथम भाव में स्थित ग्रह का फल ; लग्नेश का द्वादश भावों में फल ; प्रथम भाव से सम्बन्धित योग

अध्याय-21 द्वितीय भाव के फल
द्वितीय भाव में स्थित ग्रह का फल ; द्वितीयेश का द्वादश भावों में फल ; द्वितीय भाव से सम्बन्धित योग ; धन से सम्बन्धित योग ; नेत्रों से सम्बन्धित योग ; कुटुम्ब सम्बन्धी योग ; अन्य योग

अध्याय-22 तृतीय भाव के फल
तृतीय भाव में स्थित ग्रह का फल ; तृतीयेश का द्वादश भावों में फल ; तृतीय भाव से सम्बन्धित योग ; भाई-बहिनों से सम्बन्धित योग ; परक्रम सम्बन्धी योग ; तृतीय भाव से सम्बन्धित अन्य योग

अध्याय-23 चतुर्थ भाव के फल
चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह का फल ; चतुर्थेश का द्वादश भावों में फल ; चतुर्थ भाव से सम्बन्धित योग ; विद्या से सम्बन्धित योग ; मातृसुख से सम्बन्धित योग ; सुख से सम्बन्धित योग ; वाहनसुख से सम्बन्धित योग ; खेत-भूमि एवं भवन सम्बन्धी योग ; बन्धु विचार ; मित्रता से सम्बन्धित योग

अध्याय-24 पंचम भाव के फल
पंचम भाव में स्थित ग्रह का फल ; पंचमेश का द्वादश भावों में फल ; पंचम भाव से सम्बन्धित योग ; सन्तान सुख से सम्बन्धित योग ; लग्नानुसार सन्तति से सम्बन्धित शुभाशुभ योग ; इष्टदेव से सम्बन्धित योग ; बुद्धि एवं स्मरण शक्ति से सम्बन्धित योग ; शिक्षा से सम्बन्धित योग ; हृदयरोग

अध्याय-25 षष्ठ भाव के फल
षष्ठ भाव में स्थित ग्रह का फल ; षष्ठेश का द्वादश भावों में फल ; षष्ठ भाव से सम्बन्धित योग ; रोग से सम्बन्धित योग ; शत्रु से सम्बन्धित योग ; मातुल या मामा से सम्बन्धित योग

अध्याय-26 सप्तम भाव के फल
सप्तम भाव में स्थित ग्रह का फल ; सप्तमेश का द्वादश भावों में फल ; सम्म भाव से सम्बन्धित योग ; वैवाहिक सुख से सम्बन्धित योग ; विवाह विलम्ब के योग ; अविवाहित रहने के योग ; कब होगा विवाह ? ; कैसा होगा जीवनसाथी ? ; विवाह की दिशादि

अध्याय-27 अष्टम भाव के फल
अष्टम भाव में स्थित ग्रह का फल ; अष्टमेश का द्वादश भावों में फल ; अष्टम भाव से सम्बन्धित योग ; आयु से सम्बन्धित योग

अध्याय-28 नवम भाव के फल
नवम भाव में स्थित ग्रह का फल ; नवमेश का द्वादश भावों में फल ; नवम भाव से सम्बन्धित योग ; भाग्य से सम्बन्धित योग ; गुरु एवं धर्म से सम्बन्धित योग

अध्याय-29 दशम भाव के फल
दशम भाव में स्थित ग्रह का फल ; दशमेश का द्वादश भावों में फल ; दशम भाव से सम्बन्धित योग ; वृत्ति या आजीविका से सम्बन्धित योग ; मान-सम्मान एवं कीर्ति से सम्बन्धित योग ; पिता से सम्बन्धित योग (:) अन्य योग

अध्याय-30 एकादश भाव के फल
एकादश भाव में स्थित ग्रह का फल ; एकादशेश का द्वादश भावों में फल ; एकादश भाव से सम्बन्धित योग ; आय एवं लाभ से सम्बन्धित योग ; एकादश भाव से सम्बन्धित अन्य योग

अध्याय-31 द्वादश भाव के फल
द्वादश भाव में स्थित ग्रह का फल ; द्वादशेश का द्वादश भावों में फल ; द्वादश भाव से सम्बन्धित योग ; व्यय से सम्बन्धित योग ; दान से सम्बन्धित योग ; बन्धन या जेल से सम्बन्धित योग ; मृत्यूपरान्त गति से सम्बन्धित योग ; अन्य योग

अध्याय-32 योगफल ( भाग -1 ) पंचमहापुरुषादि योग
पंचमहापुरुष योग ; रुचक महापुरुषयोग ; भद्रमहापुरुष योग ; हंस महापुरुषयोग ; मालव्य महापुरुष योग ; शश महापुरुषयोग ; चन्द्रकृत योग ; सुनफायोग ; अनफायोग ; दुरुधरायोग ; केमद्रुमयोग ; चन्द्राधियोग या अधियोग ; अल्पमध्यमोत्तम योग ; धनयोग ; सूर्यकृतयोग ; वेशी योग ; वाशियोग ; उभयचरीयोग ; नाभसयोग

अध्याय-33 योगफल (भाग-2): राजयोग
ग्रहों की स्व, उच्च या मूलत्रिकोण राशिगत स्थिति से निर्मित होने वाले राजयोग ; ग्रहों की राशिगत स्थिति के आधार पर निर्मित राजयोग ; ग्रहों की भावगत स्थिति के आधार पर राजयोग ; ग्रहों के पारस्परिक सम्बन्धों पर आधारित राजयोग ; भावेशों के पारस्परिक सम्बन्धों पर आधारित राजयोग

अध्याय-34 योगफल ( भाग -3 ) : राजयोग (भाग-)
शंखयोग ; पंक्तियोग ; पर्वतयोग ; गजकेसरियोग ; अमलयोग या अमलकीर्ति योग ; काहलयोग ; चामरयोग ; भेरीयोग ; मृदंगयोग ; श्रीनाथयोग ; श्रीकंठयोग ; वैरयोग ; सरस्वतीयोग ; लक्ष्मीयोग ; गौरीयोग ; पारिजातयोग ; कलानिधियोग ; कल्पद्रुमयोग ; हरियोग ; हरयोग ; ब्रह्मयोग या विधियोग ; वसुमत् योग ; विपरीत राजयोग ; चन्द्र-मंगलयोग ; राजलक्षणयोग ; बुधादित्य योग ; भारतीयोग ; बाधक योग ; कपट्योग ; कालसर्पयोग ; पितृदोष या पितरदोष

अध्याय-35 दशाफल ( भाग -4 )
दशाफल के सामान्य सिद्धान्त ; सूर्य की महादशा ; सूर्य की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर सूर्य की महादशा के फल ; सूर्य की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; चन्द्रमा की महादशा ; चन्द्रमा की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर चन्द्रमा की महादशा के फल ; चन्द्रमा की भावात स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; मंगल की महादशा ; मंगल की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर मंगल की महादशा के फल ; मंगल की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; राहु की महादशा ; राहु की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर राहु की महादशा के फल ; राहु की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; गुरु की महादशा ; गुरु की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर गुरु की महादशा के फल ; गुरु की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; शनि की महादशा ; शनि की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर शनि की महादशा के फल ; शनि की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; बुध की महादशा ; बुध की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर बुध की महादशा के फल ; बुध की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; केतु की महादशा ; केतु की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर केतु की महादशा के फल ; केतु की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल ; शुक्र की महादशा ; शुक्र की महादशा का सामान्य फल ; राशिगत स्थिति के आधार पर शुक्र की महादशा के फल ; शुक्र की भावगत स्थिति के आधार पर महादशा का फल

अध्याय-36 दशाफल ( भाग 5) अन्तर्दशाफल
भावेश से सम्बन्धित सिद्धान्त ; ग्रहों से सम्बन्धित सिद्धान्त ; शुभ एवं अशुभ फलकारक दशाएँ ; सूर्य की महादशा में अन्तर्दशा फल ; चन्द्रमा की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; मंगल की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; राहु की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; गुरु की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; शनि की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; बुध की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; केतु की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल ; शुक्र की महादशा में अन्तर्दशाओं के फल

अध्याय-37 दशाफल ( भाग -6 ) प्रत्यन्तर्दशा फल
सूर्य की प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; चन्द्रमा की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; मंगल की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; राहु की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; गुरु की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; शनि की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; बुध की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; केतु की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल ; शुक्र की अन्तर्दशा में प्रत्यन्तर्दशाओं के फल

अध्याय-38 अष्टकूट मिलान
वर्णकूट ; वश्यकूट ; ताराकूट ; योनिकूट ; ग्रहमैत्रीकूट ; गणकूट ; भकूट ; नाडीकूट ; मेलापन में जन्मराशि बनाम नामराशि

अध्याय-39 मंगलदोष
मंगलदोष का अर्थ एवं परिभाषा ; मंगल के समान पापग्रहों से दोष ; मंगलदोष की समाप्ति ; मंगलदोष का मिलान

अध्याय-40 अष्टकवर्ग निर्माण
अष्टकवर्ग का अर्थ एवं महत्त्व ; अष्टकवर्ग में प्रयुक्त प्रमुख अवधारणाएँ ; अष्टकवर्गीय पद्धति के आठ वर्ग ; सूर्य प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग का निर्माण ; कक्षा सिद्धान्त तथा सूर्य प्रस्ताराष्टक चक्र अथवा गोचराष्टक वर्ग ; चन्द्रमा के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग का निर्माण ; चन्द्र प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोवराष्टक वर्ग ; मंगल के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टक वर्ग का निर्माण ; मंगल प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टक वर्ग ; बुध प्रस्तार चक्र एवं भिन्नाष्टक वर्ग का निर्माण ; बुध प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टक वर्ग ; गुरु प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग का निर्माण गुरु प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचरष्टक वर्ग ; शुक्र प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टक वर्ग निर्माण विधि ; शुक्र प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टक वर्ग निर्माण विधि ; शनि प्रस्तार चक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग का निर्माण ; शनि प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टक वर्ग ; लग्न प्रस्तार चक्र एवं भिन्नाष्टक वर्ग का निर्माण ; लग्न प्रस्ताराष्टक अथवा गोचराष्टक वर्ग ; राहु के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टक वर्ग के निर्माण की विधि ; सर्वाष्टक वर्ग के निर्माण की विधि

अध्याय-41 अष्टकवर्ग फलादेश
प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर फलकथन के सामान्य सिद्धान्त ; रेखाओं के आधार पर फल ; सूर्य के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्य कथन के सिद्धान्त ; चन्द्रमा के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्य कथन के सिद्धान्त ; मंगल के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्य कथन के सिद्धान्त ; बुध के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्यकथन के सिद्धान्त ; गुरु के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्यकथन के सिद्धान्त ; शुक्र के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्यकथन के सिद्धान्त ; शनि के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्यकथन के सिद्धान्त ; लग्न के प्रस्तारचक्र एवं भिन्नाष्टकवर्ग के आधार पर भविष्यकथन के सिद्धान्त ; सर्वाष्टक वर्ग से फलकथन

अध्याय-42 ग्रहों के गोचरफल
फलित ज्योतिष में गोचर का महत्त्व ; ग्रहों का गोचरीय परिचय ; सूर्य का गोचरफल ; चन्द्रमा का गोचरफल ; मंगल का गोचरफल ; बुध का गोचरफल ; गुरु का गोचरफल ; शुक्र का गोचरफल ; शनि का गोचरफल ; राहु का भावानुसार गोचरफल ; केतु का भावानुसार गोचरफल

अध्याय-43 अष्टकवर्ग के आधार पर गोचरफल
भिन्नाष्टक वर्ग से गोचरफल के सामान्य सिद्धान्त ; सूर्य के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; चन्द्रमा के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; मंगल के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; बुध के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; गुरु के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; शुक्र के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; शनि के भिन्नाष्टकवर्गानुसार गोचरफल ; गोचरराष्टकवर्ग से गोचरफल के सामान्य सिद्धान्त ; सूर्य के प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल ; चन्द्रमा का प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोवराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल ; मंगल का प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल ; बुध का प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल ; गुरु के प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल ; शुक्र का प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोवराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल ; शनि के प्रस्ताराष्टक वर्ग अथवा गोचराष्टकवर्ग में कक्षानुसार गोचर फल

अध्याय-44 शनि की साढ़ेसाती एवं ढैया
साढ़ेसाती का अर्थ ; ढैया का अर्थ ; साढ़ेसाती के पादफल ; शनि की साढ़ेसाती के फल ; चरणानुसार साढ़ेसाती के फल ; शनि की ढैया के फल

अध्याय-45 पंचांग परिचय
पंचांग का अर्थ एवं उसके अंग ; तिथि ; वार ; नक्षत्र ; योग ; करण

अध्याय-46 पंचांग में प्रयुक्त प्रमुख अवधारणाएँ
सूर्य की गति एवं संक्रान्ति ; ऋतुएँ ; विषुव अयनान्त, गोल एवं अयन ; सावन दिन ; नाक्षत्र दिवस ; चान्द्र दिवस ; सौरमास ; चान्द्रमास ; सावन वर्ष ; चान्द्रवर्ष ; सौरवर्ष ; बार्हस्पत्य वर्ष ; ईस्वी सन् ; शक संवत् ; विक्रम संवत् ; अधिकमास ; क्षयमास ; बार्हस्पत्य संवत्सर

अध्याय-47 पंचांग एवं मुहूर्त के योग
आनन्दादि योग ; रवि पुष्ययोग ; गुरु पुष्ययोग ; अमृतसिद्धियोग ; सिद्धियोग ; सर्वार्थसिद्धियोग ; यमघंटयोग ; उत्पात मृत्यु काणयोग ; ज्वालामुखी योग ; सिद्धियोग (सिद्धिदातिथियाँ ) ; दधातिथि ; मृतयोग या मृत्युयोग या मृता तिथियाँ ; त्रिपुष्कर योग ; द्विपुष्कर योग ; विषयोग ; रवियोग ; पंचांग में नैमित्तिक योगों का प्रदर्शन

अध्याय-48 विविध मुहूर्त
द्विघटिका ज्योतिषीय नित्य मुहूर्त ; द्विघटिका पौराणिक नित्य मुहूर्त ; संध्या नित्य मुहूर्त ; प्रदोष नित्य मुहूर्त ; गोधूलि बेला नित्य मुहूर्त ; चतुर्घटिका नैमित्तिक मुहूर्त ; कालहोरा या होरा मुहूर्त ; राहुकाल

अध्याय-49 शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त
मुहूर्त सम्बन्धी सामान्य नियम ; पुंसवन संस्कार मुहूर्त ; सीमन्तोन्नयन संस्कार मुहूर्त ; सूतिका स्नान मुहूर्त ; नामकरण संस्कार मुहूर्त ; जलपूजन या कुआं पूजन मुहूर्त ; अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त ; चूडाकरण या मुण्डन संस्कार मुहूर्त ; कर्णवेध संस्कार मुहूर्त ; उपनयन संस्कार मुहूर्त ; विवाह मुहूर्त ; लत्तादि दोष ; पंचांगों में लत्तादिदोषों का प्रदर्शन ; विवाह से पूर्व के मांगलिक कार्यक्रमों के मुहूर्त ; विदाई मुहूर्त ; वधू प्रवेश ( वध्वागमन) मुहूर्त ; द्विगमन मुहूर्त ; त्रिरागमन या द्वयंग यात्रा मुहूर्त ; नींव खुदवाने का मुहूर्त ; गृह प्रवेश मुहूर्त ; यात्रा मुहूर्त ; व्यापार एवं व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त ; नौकरी या पदग्रहण मुहूर्त ; चुनाव में पर्चा दाखिल मुहूर्त ; शपथ ग्रहण मुहूर्त ; प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु आवेदन पत्र जमा कराने का मुहूर्त ; वाहन क्रय मुहूर्त ; भौतिक सुख-सुविधाओं के साधनों के क्रय का मुहूर्त ; मुकदमा दायर करने का मुहूर्त ; शल्य क्रिया का मुहूर्त ; देवालय निर्माण मुहूर्त ; सर्वदेव प्रतिष्ठा मुहूर्त ; स्ट्राभिषेक मुहूर्त ; श्रीमद्भागवत पारायण मुहूर्त ; अग्निहोत्र आरम्भ मुहूर्त ; अबूझ एवं स्वयं सिद्ध मुहूर्त

अध्याय-50 ग्रहशान्ति सामान्य परिचय
जन्म से सम्बन्धित अरिष्टों के शमन हेतु उपाय ; जन्मकुण्डली में अशुभयोग एवं अकारक ग्रहों की शान्ति हेतु उपाय ; कालसर्पदोष की शान्ति ; पूर्वजन्म के शापों की शान्ति ; सन्तानहीनता से सम्बन्धित अन्य योगों की शान्ति ; वैधव्यदोष से मुक्ति हेतु घट विवाह ; पुरुष के लिए अर्क विवाह ; अष्टकूट मिलान के दोषों की शान्ति ; अन्य दुर्योगों की शान्ति ; जन्मकुण्डली में शुभयोग एवं कारक ग्रह को बली करने हेतु उपाय ; दशा से सम्बन्धित उपाय ; अशुभ गोचर की शान्ति हेतु उपाय

अध्याय-51 रन द्वारा ग्रहशान्ति
नवग्रहों के नवरत्न ; रत्नधारण के सिद्धान्त ; लग्नेश एवं त्रिकोणेश के रत्न धारण का सिद्धान्त ; विद्यमान महादशा-अन्तर्दशा के स्वामियों के रत्न धारण का सिद्धान्त ; अशुभ गोचरस्थ ग्रह के रत्न धारण का सिद्धान्त ; कामनानुसार ग्रहों के रत्नधारण का सिद्धान्त ; जन्मराशि के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त ; सायनसूर्य राशि के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त ; मूलांक के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त ; हस्तरेखा के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त ; रत्न और धातु के संयोग से सम्बन्धित सिद्धान्त ; रत्न से सम्बन्धित अंगुली ; स्पर्शता का सिद्धान्त ; अंगूठी बनाम पेंडेंट ; रत्नों के वजन से सम्बन्धित सिद्धान्त ; रत्नों की शत्रुता का सिद्धान्त ; रत्नधारण का मुहूर्त ; रत्नधारण की विधि

अध्याय-52 रुद्राक्ष द्वारा ग्रहशान्ति
रुद्राक्षों का परिचय ; नवग्रहों के स्ट्राक्ष ; ग्रहशान्ति के लिए रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त ; लग्नेश एवं त्रिकोणेश के रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त ; दशानाथ के स्ट्राक्ष धारण का सिद्धान्त ; गोचर के अनुसार रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त ; कामनानुसार रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त ; रुद्राक्ष धारण का मुहूर्त ; स्ट्राक्ष धारण विधि

अध्याय-53 मन्त्र, स्तोत्र, यन्त्र आदि से ग्रहशान्ति अन्य उपाय
सूर्य ग्रह की शान्ति ; सूर्य का वैदिक मन्त्र ; सूर्य का तन्त्रोक्त मन्त्र ; सूर्य गायत्री ; सूर्य के नाममन्त्र ; सूर्य कवच ; सूर्ययन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; सूर्य हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; चन्द्रग्रह की शान्ति ; चन्द्रमा का वैदिक मन्त्र ; चन्द्रमा का तन्त्रोक्त मन्त्र ; चन्द्र गायत्री मन्त्र ; चन्द्रमा के नाममन्त्र ; चन्द्र कवच ; चन्द्राष्टाविंशतिनामस्तोत्र ; चन्द्रयन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; दान ; औषधि स्नान ; शान्ति ; मंगल का वैदिक मन्त्र ; मंगल के तंत्रोक्त मन्त्र ) मंगलगायत्री ; मंगल के नाममन्त्र ; मंगल कवच ; मंगलयन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; मंगल हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; बुध ग्रह की शान्ति ; बुध का वैदिक मन्त्र ; बुध के तन्त्रोक्त मन्त्र ; बुधगायत्री ; बुध के नाममन्त्र ; बुध कवच ; बुधयन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; बुध हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; गुरु ग्रह की शान्ति ; गुरु का वैदिक मन्त्र ; गुरु के तन्त्रोक्त मन्त्र ; गुरुगायत्री ; गुरु के नाममन्त्र ; गुरु कवच ; गुरुयन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; गुरु हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; शुक्र ग्रह की शान्ति ; शुक्र का वैदिक मन्त्र ; शुक्र के तन्त्रोक्त मन्त्र ; शुक्रगायत्री ; शुक्र के नाममन्त्र ; शुक्र कवच ; शुक्रयन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; शुक्र हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; शनि ग्रह की शान्ति ; शनि का वैदिक मन्त्र ; शनि के तन्त्रोक्त मन्त्र ; शनिगायत्री ; शनि के नाममन्त्र ; शनैश्वर स्तवराज ; श्री शनि चालीसा ; दशरथकृत शनिस्तोत्र ; शनियन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; शनि हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; राहु ग्रह की शान्ति ; राहु का वैदिक मन्त्र ; राहु के तन्त्रोक्त मन्त्र ; राहुगायत्री ; राहु के नाममन्त्र ; राहु कवच ; राहुयन्त्र ; व्रत एवं उपवास ; राहु हेतु दान ; औषधि स्नान ; अन्य उपाय ; केतु ग्रह की शान्ति ; केतु का वैदिक मन्त्र ; केतु के तन्त्रोक्त मन्त्र ; केतुगायत्री केतु के नाममन्त्र केतु कवच केतु यन्त्र व्रत एवं उपवास केतु हेतु दान औषधि स्नान अन्य उपाय नवग्रह शान्ति ; नवग्रह मन्त्र ; नवग्रह स्तोत्र नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र नामका मन्त्र नवग्रहशान्ति से सम्बन्धित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य।

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