AS102 Introductory Predective Astrology

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द्वितीय प्रश्‍न-पत्र (Paper Code : AS102)
प्रारम्भिक फलित ज्‍योतिष

  1. राशियों का सामान्य परिचय: राशियों की आकृति; राशियों के चिह्न; कालपुरुष के अंगों में राशियों का विन्यास; राशियों से सम्बन्धित रोग; राशियों की ह्रस्वादि संज्ञाएँ; राशियों का लिंग; राशियों की क्रूरादि संज्ञाएँ; राशियों की दिशाएँ; राशियों की चरादि संज्ञाएँ; दिवाबली एवं रात्रिबली राशियाँ; राशियों की शीर्षोदय आदि संज्ञाएँ; राशियों के तत्त्‍व; राशियों की प्रकृति; राशियों की चतुष्पद आदि संज्ञाएँ; राशियों का वर्ण; राशियों के रंग एवं राशियों के स्वामी ग्रह।
  2. ग्रहों का सामान्य परिचय: ग्रहों का वर्गीकरण; ग्रहों की स्व, उच्च, मूलत्रिकोण एवं नीच राशि और परमोच्चांश तथा परम नीचांश; ग्रहों के राजपद; ग्रहों के रंग; ग्रहों का उदय प्रकार; ग्रहों का प्राणिजगतीय स्वरूप; ग्रहों के संचार स्थान; वैदिक शाखाधिप; ग्रहों के द्रव्य या धातु; ग्रहों के अधिदेवता; ग्रहों के रत्न; ग्रहों से सम्बन्धित वस्त्र; ग्रहों की दिशाएँ; ग्रहों की ऋतु; ग्रहों के निवास स्थान; ग्रहों के लोक; ग्रहों के वर्ण; ग्रहों के गुण; ग्रहों की प्रकृति; ग्रहों के लिंग; ग्रहों के तत्त्‍व; ग्रहों की शुष्कादि संज्ञाएँ; ग्रहों के रस; ग्रहों की दृष्टि; ग्रहों की बाल्यादि अवस्थाएँ; ग्रहों की जाग्रतादि अवस्थाएँ; ग्रहों की दीप्तादि अवस्थाएँ एवं लज्जितादि अवस्थाएँ।
  3. ग्रहों के कारकत्व: नैसर्गिक या स्थिर कारक ग्रह; सूर्यादि नवग्रहों के कारकत्व; तात्कालिक या चर कारक; कारकांश कुण्डली; विभिन्न लग्नों में कारक ग्रह एवं योगकारक ग्रह।
  4. भावों का सामान्य परिचय: भावों की संज्ञाएँ; कालपुरुष के अंगों का भावों में न्यास; भावों के नैसर्गिक कारकत्व; भावों के नैसर्गिक कारक ग्रह; भावेशों की शुभाशुता और केन्द्राधिपति दोष।
  5. जन्मलग्न एवं जन्मराशि फल: मेषादि द्वादश लग्नों अथवा राशि वाले जातक की सामान्य विशेषताएँ।
  6. फलकथन के आधारभूत सिद्धान्त।
  7. द्वादश राशियों में स्थित ग्रहों के फल।
  8. ग्रहों की उच्चादिराशिगत स्थिति के आधार पर फल।
  9. द्वादश भावों से सम्बन्धित फल एवं योग।
  10. विभिन्न प्रकार के योग: पंचमहापुरुष योग: रुचक महापुरुषयोग, भद्रमहापुरुषयोग, हंस महापुरुषयोग, मालव्य महापुरुषयोग एवं शश महापुरुषयोग; चन्द्रकृत योग: सुनफायोग, अनफायोग, दुरुधरायोग, केमद्रुमयोग, चन्द्राधियोग या अधियोग, अल्पमध्यमोत्तम योग एवं धनयोग; सूर्यकृतयोग: वेशीयोग, वाशियोग एवं उयचरीयोग; नासयोग; शंखयोग; पंक्तियोग; पर्वतयोग; गजकेसरियोग; अमलयोग; काहलयोग; चामरयोग; भेरीयोग; मृदंगयोग; श्रीनाथयोग; श्रीकंठयोग; वैरियोग; सरस्वतीयोग; लक्ष्मीयोग; गौरीयोग; पारिजातयोग; कलानिधियोग; कल्पद्रुमयोग; हरियोग; हरयोग; ब्रह्मयोग या विधियोग; वसुमत् योग; विपरीत राजयोग; चन्द्र-मंगलयोग; राजलक्षणयोग; बुधादित्य योग; भारतीयोग; बाधक योग; कपटयोग; कालसर्पयोग; पितृदोष या पितरदोष; विविध प्रकार के राजयोग।
  11. दशाफल: सूर्यादि नवग्रहों की भावगत स्थिति, राशिगत स्थिति आदि के आधार पर महादशाफल।
  12. अन्तर्दशाफल।
  13. प्रत्यन्तर्दशाफल।
  14. अष्टकूट मिलान: वर्णकूट, वश्यकूट, ताराकूट, योनिकूट, ग्रहमैत्रीकूट, गणकूट, कूट एवं नाडीकूट तथा इनसे सम्बन्धित दोष एवं उनके परिहार; मेलापन में जन्मराशि बनाम नामराशि।
  15. मंगलदोष: मंगलदोष का अर्थ एवं परिभाषा; मंगल के समान पापग्रहों से दोष; मंगलदोष की समाप्ति एवं मंगलदोष का मिलान।