Rajnath Singh Horoscope

Articles Horoscope Analysis
Prepared by Avnish Pandey
Date  February 20, 2013

सफल होंगे गठबंधन राजनीति में

Rajnath Singh Horoscope

दिसम्बर, 2005 में जिस प्रकार अप्रत्याशित रूप से राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने, उससे भी अधिक अप्रत्याशित रूप से जनवरी, 2013 में राजनाथ सिंह पुनः भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए। सम्भवतः स्वयं राजनाथ सिंह को भी इस बात की भनक नहीं थी कि वे कुछ ही दिनों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुनः बनने वाले हैं, लेकिन भाग्य को तो कुछ कर दिखाना था। लगभग सात वर्ष पूर्व जब इनकी जन्मपत्रिका इनके निकट सहयोगी के माध्यम से आयी थी, तभी मैंने उन्हें बताया था कि 2013 से 2015 का समय उनके लिए राजनीतिक सफलताओं की दृष्टि से स्वर्णकाल सिद्ध होगा। सम्भवतः यही होने जा रहा है। उपलब्ध सूचना के अनुसार राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई, 1951 को वृश्चिक लग्न और सिंह नवांश में उत्तरप्रदेश के चन्दौली जिले के भौरा गाँव में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उनके पिता रामबदन सिंह का मुख्य पेशा कृषि था। कृषक परिवार से होने के बावजूद राजनाथ सिंह मेधावी छात्र रहे। गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में प्रथम श्रेणी में एम.एससी. करने के उपरान्त वे मिर्जापुर के के.बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भौतिकी के व्याख्याता बने, लेकिन नियति को और ही मंजूर था। उन्होंने कुछ समय के पश्चात् व्याख्याता पद छोड़ दिया और राजनीति में आ गए। चतुर्थ और दशम के राहु-केतु उन्हें व्याख्याता पद से ही सन्तुष्टि प्रदान नहीं करने देते। इससे पूर्व, मात्र 13 वर्ष की अवस्था से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। बाद में नौकरी के दौरान ही वे भारतीय जनसंघ के कार्यकर्ता बन गए। सन् 1975 में उन्हें भारतीय जनसंघ का मिर्जापुर जिले का अध्यक्ष बनाया गया। सन् 1975 में वे जे.पी. आन्दोलन में कूद पड़े और 1975 से 1977 में इमरजेंसी के दौरान दो बार जेल में गए। वृश्चिक लग्न जुझारू प्रवृत्ति एवं लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठता की द्योतक है। लग्नकुण्डली में गजकेसरी योग बन रहा है। पंचमस्थ स्वराशि के गुरु ने उन्हें अपार लोकप्रियता प्रदान की है। भाग्येश चन्द्रमा एवं पंचमेश गुरु के मध्य परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है और प्रजातन्त्रकारक शनि के साथ भाग्येश चन्द्रमा का युति सम्बन्ध भी है। इन सबके परिणामस्वरूप राजनीति में उन्हें भाग्य का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है। यही कारण है कि उनके राजनीतिक जीवन में सफलताएँ अधिक हैं, असफलताएँ कम।

जन्म दिनांक 10 जुलाई, 1951
जन्म समय 15ः15 बजे
जन्म स्थान भौरा (चन्दौली)

राजनाथ सिंह की जन्मकुण्डली में चतुर्थ भावस्थ राहु उन्हें राजनीति में उच्च पद प्राप्ति को सम्भव बना रहा है। दशम भाव में केतु की सप्तमेश शुक्र के साथ युति एक अन्य राजयोग का निर्माण कर रही है। शास्त्रों में ऐसे जातक को राजा या राजा के समान बताया गया है। भाग्येश एवं एकादशेश के मध्य परस्पर भाव परिवर्तन उन्हें अपेक्षा से अधिक उपलब्धियाँ दिलवाता है, वहीं बुध के अष्टमेश होने के कारण तथा अष्टम भाव में लग्नेश मंगल एवं कर्मेश सूर्य की युति के कारण उन्हें सफलताएँ अप्रत्याशित रूप से प्राप्त होती हैं। राजनाथ सिंह की कुण्डली में लाभकारी वेशि एवं अनफा योग बन रहे हैं। सूर्य से दूसरे भाव में स्थित बुध वेशि योग बना रहा है, तो वहीं चन्द्रमा से शुक्र की द्वादश भावस्थ स्थिति अनफा योग का निर्माण कर रही है। एकादश भाव में चन्द्र-शनि की युति जातकपारिजातोक्त काहल योग का निर्माण कर रही है, जिसके फलस्वरूप राजनाथ सिंह ओजस्वी, साहसी, सामर्थ्यवान्, विनम्र एवं अनुशासन में रहने वाले राजनेता हैं। षष्ठेश मंगल अष्टम भाव में स्थित होकर विपरीत राजयोग का निर्माण कर रहा है। राजनाथ सिंह के लिए शनि, राहु, गुरु एवं शुक्र राजनीति में महत्त्‍वपूर्ण सफलतादायक रहे हैं। शनि तृतीयेश-चतुर्थेश होकर एकादश भाव में भाग्येश चन्द्रमा के साथ युत है और शुभ पंचमेश गुरु के दृष्टि प्रभाव में है। एक ओर उसकी लग्न एवं लग्नेश दोनों पर दृष्टि है, वहीं लग्नेश मंगल भी उस पर दृष्टि डाल रहा है। राहु मित्रराशि कुम्भ में स्थित होकर चतुर्थ भाव में बलवान् स्थिति में है। गुरु पंचमेश होकर पंचम भाव में स्वराशिस्थ है तथा गजकेसरी योग एवं चन्द्र लग्न से हंस पंचमहापुरुष योग का निर्माण कर रहा है। शुक्र सप्तमेश एवं द्वादशेश होकर कर्म भाव में केतु के साथ युत है। आपातकाल के पश्चात् सन् 1977 में हुए चुनावों में राजनाथ सिंह पहली बार राज्य विधानसभा के सदस्य चुने गए। यह राहु एवं शनि की मेहरबानी थी। उस समय वे राहु की महादशा में शनि की अन्तर्दशा के प्रभाव में थे। राजनाथ सिंह को दूसरी बड़ी सफलता तब मिली, जब वे सन् 1990 में उत्तरप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष चुने गए और सन् 1991 में शिक्षामंत्री बने। उस समय वे गुरु महादशा में गुरु की अन्तर्दशा के प्रभाव में थे। गुरु की महादशा में शनि की अन्तर्दशा में वे पहली बार 4 अप्रैल, 1994 को राज्यसभा के लिए चुने गए और अक्टूबर, 2001 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। सन् 1999 में राजनाथ सिंह भारत सरकार में भूतल परिवहन मंत्री बनाए गए। उस समय वे गुरु में शुक्र की अन्तर्दशा के प्रभाव में थे। अक्टूबर, 2000 में राजनाथ सिंह को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री का पद मिला। उस समय गुरु महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा तथा शनि की प्रत्यन्तर्दशा चल रही थी। सूर्य दशमेश होकर लग्नेश मंगल के साथ युत है और शनि से द्रष्ट है। राजनाथ सिंह वर्तमान में शनि की महादशा के प्रभाव में हैं। जैसा कि पूर्व में बताया गया है शनि तृतीयेश-चतुर्थेश होकर भाग्येश चन्द्रमा के साथ एकादश भाव में स्थित है। शनि निरयण भाव चलित में दशम भाव में स्थित होकर इस भाव का प्रबल कारक बन गया है। शनि उनकी राजनीतिक उपलब्धियों का महत्त्‍वपूर्ण कारक ग्रह रहा है। शनि महादशा का प्रारम्भ दिसम्बर, 2005 में हुआ था। इस महादशा के आरम्भ से ही उनको राजनीतिक सफलताओं का स्वाद मिलने लगा। बिहार में भाजपा की सफलता का श्रेय काफी हद तक उन्हें दिया जाता है। दिसम्बर, 2005 में ही उन्हें भाजपा के अध्यक्ष के रूप में चुन लिया गया था और उन्होंने 2 जनवरी, 2006 को भाजपा अध्यक्ष का पद सँभाला तथा अपना कार्यकाल पूर्ण किया। अक्टूबर, 2012 से राजनाथ सिंह शनि महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा के प्रभाव में हैं। अप्रैल, 2013 तक शुक्र की ही प्रत्यन्तर्दशा रहेगी। शुक्र की दशा आते ही उन्हें भाजपा अध्यक्ष की गद्दी पुनः मिली है। सामने चुनौतियाँ बहुत हैं। सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की है। उसके पश्चात् 2013 में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन को सुधारने की है और सबसे बड़ी चुनौती राजग को एकजुट करके 2014 के आम चुनावों में संप्रग को कड़ी टक्कर देने की है। वर्तमान दशा-अन्तर्दशा को देखते हुए राजनाथ सिंह इन सभी चुनौतियों का बखूबी सामना करेंगे और बिखरते हुए राजग को एकजुट कर 2014 के आम चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे। वे वैसे भी गठबन्धन की राजनीति के विशेषज्ञ माने जाते हैं और अन्तर्दशा भी उनकी इसी प्रकार की चल रही है। गठबन्धन की राजनीति में वे पुनः सफल होंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। आश्चर्य नहीं कि वे कोई महत्त्‍वपूर्ण पद भी हासिल कर जाएँ। सितम्बर, 2015 तक उनका समय बेहतर है, जो उनके राजनीतिक जीवन का स्वर्णकाल सिद्ध हो सकता है।