AS106 Introductory Remedial Astrology

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षष्ठ प्रश्‍न-पत्र (Paper Code : AS106)
प्रारम्भिक उपचार ज्‍योतिष

  1. जन्म से सम्बन्धित अरिष्टों के शमन हेतु उपाय।
  2. जन्मकुण्डली में अशुयोग एवं अकारक ग्रहों की शान्ति हेतु उपाय।
  3. कालसर्पदोष की शान्ति का सामान्य परिचय।
  4. पूर्वजन्म के शापों की शान्ति एवं सन्तानहीनता से सम्बन्धित अन्य योगों की शान्ति का सामान्य परिचय।
  5. वैधव्यदोष से मुक्ति हेतु घट विवाह एवं अर्क विवाह का सामान्य परिचय।
  6. अष्टकूट मिलान के दोषों की शान्ति।
  7. दशा से सम्बन्धित उपाय।
  8. अशुभ गोचर की शान्ति हेतु उपाय।
  9. रत्न द्वारा ग्रहशान्ति: नवग्रहों के नवरत्न; रत्नधारण के सिद्धान्त; लग्नेश एवं त्रिकोणेश के रत्न धारण का सिद्धान्त; विद्यमान महादशा-अन्तर्दशा के स्वामियों के रत्न धारण का सिद्धान्त; अशु गोचरस्थ ग‘ह के रत्न धारण का सिद्धान्त; कामनानुसार ग्रहों के रत्नधारण का सिद्धान्त; जन्मराशि के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त; सायनसूर्य राशि के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त; मूलांक के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त; हस्तरेखा के अनुसार रत्नधारण का सिद्धान्त; रत्न और धातु के संयोग से सम्बन्धित सिद्धान्त; रत्न से सम्बन्धित अंगुली; स्पर्शता का सिद्धान्त; अंगूठी बनाम पेंडेंट; रत्नों के वजन से सम्बन्धित सिद्धान्त; रत्नों की शत्रुता का सिद्धान्त; रत्नधारण का मुहूर्त एवं रत्नधारण की विधि।
  10. रुद्राक्ष द्वारा ग्रहशान्ति: रुद्राक्षों का परिचय; नवग्रहों के रुद्राक्ष; ग्रहशान्ति के लिए रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त; लग्नेश एवं त्रिकोणेश के रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त; दशानाथ के रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त; गोचर के अनुसार रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त; कामनानुसार रुद्राक्ष धारण का सिद्धान्त; रुद्राक्ष धारण का मुहूर्त एवं रुद्राक्ष धारण विधि।
  11. मन्त्र, स्तोत्र, यन्त्र आदि से ग्रहशान्ति: सूर्य ग्रह की शान्ति: सूर्य का वैदिक मन्त्र, सूर्य का तन्त्रोक्त मन्त्र, सूर्य गायत्री, सूर्य के 108 नाममन्त्र, सूर्य कवच, सूर्ययन्त्र; व‘त एवं उपवास, सूर्य हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; चन्द्रग्रह की शान्ति: चन्द्रमा का वैदिक मन्त्र, चन्द्रमा का तन्त्रोक्त मन्त्र, चन्द्र गायत्री मन्त्र, चन्द्रमा के 108 नाममन्त्र, चन्द्र कवच, चन्द्राष्टाविंशतिनामस्तोत्र, चन्द्रयन्त्र, व्रत एवं उपवास, दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; मंगलग्रह की शान्ति: मंगल का वैदिक मन्त्र, मंगल के तंत्रोक्त मन्त्र, मंगलगायत्री, मंगल के 108 नाममन्त्र, मंगल कवच, मंगलयन्त्र, व्रत एवं उपवास, मंगल हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; बुध ग्रह की शान्ति: बुध का वैदिक मन्त्र, बुध के तन्त्रोक्त मन्त्र, बुधगायत्री, बुध के 108 नाममन्त्र, बुध कवच, बुधयन्त्र, व्रत एवं उपवास, बुध हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; गुरु ग्रह की शान्ति: गुरु का वैदिक मन्त्र, गुरु के तन्त्रोक्त मन्त्र, गुरुगायत्री, गुरु के 108 नाममन्त्र, गुरु कवच, गुरुयन्त्र, व्रत एवं उपवास, गुरु हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; शुक्र ग्रह की शान्ति: शुक्र का वैदिक मन्त्र, शुक्र के तन्त्रोक्त मन्त्र, शुक्रगायत्री, शुक्र के 108 नाममन्त्र, शुक‘ कवच, शुक‘यन्त्र, व्रत एवं उपवास, शुक्र हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; शनि ग्रह की शान्ति: शनि का वैदिक मन्त्र, शनि के तन्त्रोक्त मन्त्र, शनिगायत्री, शनि के 108 नाममन्त्र, शनैश्चर स्तवराज, श्री शनि चालीसा, दशरथकृत शनिस्तोत्र, शनियन्त्र, व्रत एवं उपवास, शनि हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; राहु ग्रह की शान्ति: राहु का वैदिक मन्त्र, राहु के तन्त्रोक्त मन्त्र, राहुगायत्री, राहु के 108 नाममन्त्र, राहु कवच, राहुयन्त्र, व्रत एवं उपवास, राहु हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; केतु ग्रह की शान्ति: केतु का वैदिक मन्त्र, केतु के तन्त्रोक्त मन्त्र, केतुगायत्री, केतु के 108 नाममन्त्र, केतु कवच, केतु यन्त्र, व्रत एवं उपवास, केतु हेतु दान, औषधि स्नान एवं अन्य उपाय; नवग्रह शान्ति: नवग्रह मन्त्र, नवग्रह स्तोत्र, नवग्रह पीड़ाहरस्तोत्र; नवग्रहमातृका मन्त्र एवं नवग्रहशान्ति से सम्बन्धित अन्य महत्त्‍वपूर्ण तथ्य।