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हस्तरेखाओं से जानें किस रोग से होगी पीड़ा

हस्तरेखाओं से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य का बहुत प्रभावी ढंग से अनुमान लगाया जा सकता है और सम्बन्धित रोग एवं पीड़ित होने की समयावधि की भविष्यवाणी की जा सकती है|हमारी हस्तरेखाओं में मुख्य रेखाओं के अतिरिक्त अन्य बहुत-सी छोटी-छोटी रेखाएँ भी होती हैं| ये रेखाएँ व्यक्ति के स्वास्थ्य को दर्शाती हैं| इनकी शुभाशुभ स्थिति,विभिन्न पर्वत स्थान और इन पर बने चिह्नों के आधार पर इस सम्बन्ध में विचार किया जाता है| सामान्य रूप से हस्तरेखाओं के माध्यम से किसी के स्वास्थ्य का विचार करते समय निम्नलिखित सिद्धान्तों का प्रमुख रूप से ध्यान रखा जाता है :

  1. किसी व्यक्ति की हथेली का रंग उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है| यथा; जिन व्यक्तियों की हथेली बहुत अधिक लाल होती है, वे पित्त सम्बन्धी बीमारियों से अधिक ग्रस्त होते हैं और प्राय: इन्हें क्रोध अधिक आता है|
  2. हथेली में स्थित विभिन्न पर्वत अपनी स्थिति के अनुसार रोगों का होना-न-होना दर्शाते हैं| स्पष्ट एवं उन्नत पर्वत उस ग्रह की अनुकूल स्थिति को दर्शाते हैं, जबकि दबे हुए,अविकसित या इधर-उधर सरके हुए पर्वत सम्बन्धित ग्रह की विपरीत स्थिति और उससे उत्पन्न बीमारियों को दिखाते हैं|
  3. हथेली में क्रॉस, सितारा, द्वीप, यव इत्यादि अशुभ चिह्न रोगों में वृद्धि करते हैं| जीवनरेखा पर जिस स्थान पर ये अशुभ चिह्न स्थित होते हैं, उस आयु वर्ष में, उस चिह्न से सम्बन्धित बीमारी का जातक को सामना करना पड़ता है|
  4. हाथ में नाखूनों की स्थिति भी रोगों को और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बताती है| नाखूनों पर नीले, काले और श्‍वेत रंग के धब्बे विभिन्न रोगों के परिचायक होते हैं| इसके अतिरिक्त नाखूनों का चमकदार नहीं होना, शीघ्र टूटना, टेढ़ा-मेढ़ा या विकृत होना अथवा धारीदार होना भी रोगों का अनुमान लगाने में सहायक होता है|

किसी व्यक्ति को होने वाले रोग और उनसे सम्बन्धित कतिपय हस्तरेखा योगों का आगे वर्णन किया जा रहा है|

त्वचारोग

यदि बुध पर्वत पर सितारे या क्रॉस का चिह्न हो और मंगल क्षेत्र से निकली हुई कोई रेखा बुध पर्वत तक आ रही हो, तो ऐसे व्यक्ति को त्वचा सम्बन्धी रोग होने का खतरा रहता है| • यदि हथेली की त्वचा बहुत अधिक स्निग्ध और पिलपिली हो साथ ही नाखूनों पर हल्की-हल्की धारियॉं भी बनी हुई हों या वे खुरदरे हों, तो त्वचा सम्बन्धी रोग निश्‍चित रूप से होते हैं|

पक्षाघात (लकवा)

हथेली में स्वास्थ्य रेखा एवं मस्तिष्क रेखा के मिलन स्थान पर लाल रंग का कोई तिल हो या काले रंग का कोई धब्बा हो, तो ऐसे व्यक्ति को पक्षाघात होने की आशंका रहती है| हथेली में यदि हृदय रेखा पर अनेक आड़ी रेखाएँ हों, नाखून चपटे हों, हथेली की त्वचा कोमल हो और शनि क्षेत्र पर सितारे या क्रॉस का चिह्न हो, तो ऐसे व्यक्ति की तंत्रिकाएँ दुर्बल होती हैं और उसे किसी मानसिक या शारीरिक आघात के कारण लकवा होने की आशंका होती है|

नेत्ररोग

यदि सूर्य रेखा पर द्वीप का चिह्न हो, सूर्य रेखा ऊपर की ओर दो भागों में विभक्त हो गई हो और एक भाग शनि पर्वत पर चला जाए, तो ऐसे व्यक्ति को नेत्ररोग होता है| • यदि सूर्य पर्वत पर क्रॉस का चिह्न हो, अनामिका मध्यमा की ओर झुकी हुई हो, साथ ही चन्द्र पर्वत पर भी क्रॉस का चिह्न हो, तो ऐसे व्यक्ति को नेत्र सम्बन्धी रोग होने की आशंका रहती है| • यदि सूर्य रेखा आड़ी-तिरछी हो और शनि पर्वत पर वलय बना हुआ हो साथ ही सूर्य एवं चन्द्र पर्वत दबे हुए हों,तो ऐसे व्यक्ति को कोई नेत्र सम्बन्धी कष्ट होता है|

दन्तरोग

यदि शनि पर्वत उठा हुआ हो, उस पर तीन-चार छोटी-छोटी रेखाएँ हों, स्वास्थ्य रेखा और भाग्य रेखा लहरदार हो तथा सभी अंगुलियों के द्वितीय पर्व अपेक्षाकृत बड़े हों, तो ऐसे व्यक्ति को दन्तरोग होने की आशंका रहती है|

रक्तविकार

यदि हथेली में चन्द्र क्षेत्र उभरा हुआ हो, उस पर छोटे-छोटे क्रॉस के चिह्न हों और साथ ही नाखूनों पर लाल रंग के अर्धचन्द्र बने हुए हों, तो रक्तविकार होने की आशंका रहती है|

हृदयरोग

यदि हृदय रेखा पर द्वीप चिह्न हो और चन्द्र क्षेत्र दबा हुआ हो, तो हृदयरोग होने की आशंका रहती है| • यदि हृदय रेखा ‘झाड़ू की सींकों’ के समान हो और इस पर सूर्य क्षेत्र के नीचे क्रॉस, द्वीप या सितारा बना हुआ हो, तो व्यक्ति को हृदयाघात की आशंका होती है|

उदररोग

यदि चन्द्र क्षेत्र पर सितारे का चिह्न हो, तो उदर रोग होने की आशंका रहती है| • यदि चन्द्र क्षेत्र बहुत अधिक उभरा हुआ हो, लेकिन उस पर कोई द्वीप का चिह्न बना हुआ हो, साथ ही नाखूनों पर, श्‍वेत रंग के धब्बे बने हुए हों, तो पेट सम्बन्धी बीमारी रहती है|

ज्वर

यदि हथेली का मध्य भाग बहुत अधिक नरम हो, लेकिन हथेली की त्वचा शुष्क रहती हो, तो ज्वर होने की आशंका रहती है| • यदि अनामिका अंगुली छोटी हो और उसके किसी पर्व पर तिल के अतिरिक्त अन्य कोई काला धब्बा या चिह्न हो, तो ज्वर के कारण पीड़ा रहने के योग बनते हैं|

मिर्गी रोग

यदि अधिकांश ग्रहक्षेत्र दबे हुए हों और अंगुलियॉं टेढ़ी हों, तो मिर्गी रोग होता है| • यदि मस्तिष्क रेखा अनेक द्वीप चिह्नों से युक्त हो और मध्यमा अंगुली बहुत छोटी हो, तो मिर्गी रोग होने की आशंका रहती है|

गुर्दे के रोग

यदि हथेली में जीवनरेखा और मंगल क्षेत्र के मध्य सफेद रंग का धब्बा या चिह्न हो, तो ऐसे व्यक्ति को गुर्दे सम्बन्धी रोग होने की आशंका रहती है| • यदि हथेली की त्वचा अधिकतर खुश्क रहती हो और हथेली में एवं नाखूनों पर श्‍वेत रंग के धब्बे हों, तो गुर्दे के रोग हो सकते हैं|

पथरी

यदि हथेली में मध्यमा अंगुली के नीचे क्रॉस या सितारे का चिह्न हो, शनि पर्वत के चारों ओर वलय बना हुआ हो और चन्द्र क्षेत्र पर छोटी-छोटी रेखाओं का एक जाल बना हुआ हो, तो ऐसा व्यक्ति पथरी रोग से पीड़ित होता है| • यदि हथेली में शनि क्षेत्र से निकलकर कोई रेखा किसी भी मंगल क्षेत्र पर चली जाए और मध्यमा अंगुली अनामिका की ओर झुकी हुई हो, तो पथरी रोग होने की आशंका रहती है|

गठिया

यदि हथेली की त्वचा अत्यधिक कोमल हो और जीवनरेखा के अन्त से निकलकर कोई रेखा चन्द्र क्षेत्र के पार चली जाए, तो यह रोग होने की आशंका रहती है| • यदि चन्द्रक्षेत्र से कोई रेखा निकलकर जीवनरेखा को काटती हुई द्वितीय मंगलक्षेत्र तक पहुँच जाए और साथ ही जीवनरेखा थोड़ी धुँधली या चौड़ी हो, तो यह रोग होने की आशंका होती है|

पीलिया

यदि स्वास्थ्य रेखा द्वीप चिह्नों से युक्त हो और उस पर कहीं तिल या अन्य कोई काला चिह्न हो, तो पीलिया होने की आशंका होती है| • यदि हाथ के नाखूनों का प्रारम्भिक भाग थोड़ा पीलापन लिए हुए हो और नाखून शीघ्र टूट जाते हों, साथ ही गुरु पर्वत पर छोटी-छोटी रेखाओं का जाल हो, तो पीलिया रोग से पीड़ित होने की आशंका रहती है|

मनोरोग

यदि मस्तिष्क रेखा का झुकाव चन्द्र पर्वत की ओर अधिक हो, मस्तिष्क रेखा दोमुँही हो और एक रेखा चन्द्र क्षेत्र में बहुत आगे तक चली गई हो, तो ऐसे व्यक्ति बहुत भावुक होते हैं और इन्हें मानसिक रोग होने की आशंका रहती है| • यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच अन्तर बहुत कम हो और मस्तिष्क रेखा को अनेक छोटी-छोटी रेखाएँ काट रही हों, तो ऐसे व्यक्ति को चिन्ता अथवा भय के कारण मनो रोग होता है| यदि चन्द्र क्षेत्र बहुत अधिक दबा हुआ हो, उस पर क्रॉस का चिह्न हो, और मस्तिष्क रेखा चौड़ी एवं अस्पष्ट हो, तो किसी प्रकार का मनोरोग होने की आशंका रहती है|

रीढ़ की हड्डी के रोग

यदि हृदय रेखा पर शनि पर्वत के नीचे द्वीप का चिह्न हो, तो तंत्रिका तन्त्र अथवा रीढ़ की हड्डी से सम्बन्धित रोग हो सकता है| • यदि शनि पर्वत अत्यधिक उभरा हुआ हो, हथेली का रंग लाल हो और नाखूनों पर धारियॉं बनी हुई हों, तो रीढ़ की हड्डी का कोई रोग हो सकता है|

सदैव रोगी

यदि सम्पूर्ण हथेली में बहुत-सी छोटी-छोटी रेखाएँ हों, क्रॉस के चिह्न हों और पर्वत दबे हुए हों, तो ऐसा व्यक्ति सदैव किसी न किसी रोग से पीड़ित रहता है| यदि नाखूनों पर श्‍वेत या काले रंग के धब्बे हों और शीघ्र ही नाखून टूट जाते हों साथ ही शुक्र एवं चन्द्र दोनों ही पर्वत दबे हुए हों, तो व्यक्ति को अनेक प्रकार के रोग घेर लेते हैं और वह प्राय: बीमार रहता है| • यदि अंगुलियों के प्रथम पर्व पर छोटी-छोटी रेखाओं की अधिकता हो और ये रेखाएँ एक दूसरे को काटती हुई हों, तो व्यक्ति सदैव किसी न किसी बीमारी से पीड़ित रहता है|

वायु विकार: यदि चन्द्र क्षेत्र अत्यधिक उभरा हुआ हो और मध्यमा अंगुली का प्रथम पोर सर्वाधिक बड़ा हो, तो वातजनित रोग होने की आशंका रहती है| यदि शनि क्षेत्र दबा हुआ हो, चन्द्र क्षेत्र से निकलकर कोई रेखा शनि पर्वत तक आ रही हो और स्वास्थ्य रेखा भी कई स्थानों से टूटी हुई हो, तो अपच या बदहजमी की शिकायत सदैव बनी रहती है|•